पिताजी की साईकल एक
आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. साईकल सुंदर एक,पिताजी नित्य चलाते।चढ़कर उस पर ही रोज,काम करने है जाते॥ छोटी-सी उनकी चाह,हमें खुश रखना हर पल,जिम्मेदारी है खूब,निभाते खटते प्रतिपल।कठिन लगन तप रख साथ,सदा वो है मुस्काते,साईकल सुंदर एक,पिताजी नित्य चलाते॥ पैरों में है निज जोर,पैडिल घूमें सरपट,श्रेष्ठ हृदय के सब … Read more