पिताजी की साईकल एक

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. साईकल सुंदर एक,पिताजी नित्य चलाते।चढ़कर उस पर ही रोज,काम करने है जाते॥ छोटी-सी उनकी चाह,हमें खुश रखना हर पल,जिम्मेदारी है खूब,निभाते खटते प्रतिपल।कठिन लगन तप रख साथ,सदा वो है मुस्काते,साईकल सुंदर एक,पिताजी नित्य चलाते॥ पैरों में है निज जोर,पैडिल घूमें सरपट,श्रेष्ठ हृदय के सब … Read more

मोटर-कार से कहीं ज्यादा

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. पूर्ण वयस्कमैं बालक नौनिहाल,उड़न तश्तरी-सा भरती उर रसमन में उठते कई सवाल।मेरे पिता जी की साईकिल… मैं अदना-सासाईकिल सर के पार,चलाऊं कैसे,पूछूं खुद सेबन बालक,गूंजे वही ख्याल।मेरे पिता जी की साईकिल… स्टैण्ड खड़ी मैं चढ़-चढ़ जाऊंउड़ने को घर से बाहर,कब होऊंगा वयस्क साईकिल-साआते थे अक्सर … Read more

घर की सदस्य ही होती

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. अपनी गाढ़ी कमाई से पिताजी लाए साइकिलमेरा सातवें आसमान में उछलने लगा था दिल,कलेवा बांध और उस पर टीका लगाया था माँ नेनई साइकिल की बात को सबको बताया मैंने,बहुत दिल के करीब मेरे,दास्तान-ए-साइकिलआज भी याद करता पिता जी की वह साइकिल। माँ तो … Read more

दुनिया का सबसे ‘अमीर’ व्यक्ति

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. ‘सोना….सोना..सुन,देख क्या वो ‘भंगार’ वाला आया है ?’ सीमा ने अपनी बेटी को आवाज लगाते हुए बोला।‘क्या…मम्मी ? अभी तो बेचा था आपने,अब क्या देना ?’‘अरे! यह पुरानी ‘साइकिल’ जगह घेर रही है! कब से…!‘पर मम्मी यह तो ‘दादा जी’ की है। ‘दादी’ ने … Read more

कर्मपथ की साथी साईकिल

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)*************************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. लोमश ऋषि की पदधूल में रचा-बसा गाँव लोमर जिला बाँदा उत्तर प्रदेश मेरी जन्मस्थली है, लेकिन मेरी बचपन की यादों की शुरुआत फतेहपुर जिला के बिन्दकी तहसील के महाजनी गली मोहल्ले के प्रसिद्ध मन्दिर के सामने बसा मेरा घर,चबूतरा और अच्छा-खासा मैदान जहां बाबू … Read more

मौसम हूँ

आदर्श पाण्डेयमुम्बई (महाराष्ट्र)******************************** बदला-बदला सा मौसम हूँ मैं,कहीं धूप तो कहीं छाँव हूँ मैं। बारिशों का मैं पानी हूँ,कहीं नदी तो कहीं तालाबों में हूँ। किसी के खेतों की हरियाली हूँ,तो किसी के खेतों की तबाही हूँ। मैं बदला-बदला सा मौसम हूँ,कहीं हवा तो कहीं तूफ़ान हूँ मैं।

सावधानी हटी,तो दुर्घटना घटी

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* आम हो या खास हो बस करो दूर से बात,सौ बातों से निकली है यही एक सौगात।निकलो मत तुम यूँ जान हथेली पर लेकर-बहुत ही महंगी पड़ेगी ये बेकार की खुराफात॥ सावधानी हटी-दुर्घटना घटी का सिद्धांत मानना है,कोरोना के प्रति अभी भी जगना और जागना है।लॉकडाउन की छूट का लाभ अनुचित लेना … Read more

सपनों की उड़ान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* उच्च रहे हरदम यहाँ,सपनों भरी उड़ान।पर कर्मठता संग हो,तो सपनों में जान॥ उड़ना ऊँचा श्रेष्ठ है,पर रखना विश्वास।बिना आत्मबल के यहाँ,सदा टूटती आस॥ सपनों को हिमगिरि बना,दे ऊँचा आकाश।चूमेेगी पग जय सदा,हों बाधाएँ नाश॥ सपने जब तक नहिं बनें,सत्य भरा अहसास।तब तक थोथी ज़िंदगी,व्यर्थ दिवस अरु मास॥ श्रम के संग … Read more

गर्मी

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* दोपहरी की धूप से,बढ़ा ताप चहुँ ओर।तप्त तवे सी है धरा,पवन मचाए शोर॥पवन मचाए शोर,नहीं यह मौसम भाता।गर्मी का ये रूप,सभी को ये झुलसाता॥कहता कवि करजोरि,लगे अब रात सुनहरी।तन पर बहता स्वेद,रहे अब गरम दुपहरी॥ गरमी के इस ताप से,सूखे ताल तड़ाग।सूरज भी झुलसा रहा,बरसाता है आग॥बरसाता है आग,विकल हैं प्राणी … Read more

मुट्ठी को रहना होगा साथ-साथ…

आरती जैनडूंगरपुर (राजस्थान)********************************************* क्या अनूप मंडल को इल्जाम दें,हम आपस में ही अनेक हैं…‘जैन हूँ’ कहते ही पूछते हैं कौन से ?बताओ कहाँ से हम एक हैं।मुट्ठीभर हैं हम पर इस,मुट्ठी को रहना होगा साथ-साथ…तब रोक पाएंगे हम पर,उठती उँगली और हाथ।अहिंसक होना हमारी,कमजोरी नहीं ताकत है…अहिंसा की शक्ति महावीर और,गांधी के रूप में आज … Read more