नवसंवत्सर के उपलक्ष्य में हुई काव्य संगोष्ठी

झाँसी (उप्र)। अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने नवसंवत्सर के उपलक्ष्य में सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन सैनी गार्डन में किया। अध्यक्षता प्रसिद्ध कवि और परिषद के अध्यक्ष प्रताप नारायण दुबे…

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उपलब्धियों हेतु डॉ. दीप्ति गौड़ सम्मानित

ग्वालियर (मप्र)। भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा का गायत्री शक्तिपीठ (ग्वालियर) में जिला स्तरीय पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया गया। देव संस्कृति विवि शांतिकुंज (हरिद्वार) द्वारा आयोजित देव संस्कृति पुरस्कार के…

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मैं हूँ तो वही

सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** ना मुझे है परवाह कि, जा खिलूं उपवन की,डाली-डाली और ना, माली संग यूँ गले लगूं। जी लूं क्यूं न मैं अपनी, बेवफाई में यूँ सबकी,जिंदगी चलते…

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कृति ‘चुस्कियाँ  व `गोदभराई’ विमोचित

इंदौर (मप्र)। साहित्यकार ज्योति जैन ने 'चुस्कियाँ' नाम से आकर्षक किताब रची है, जिसका विमोचन रविवार को जाल सभागार में किया गया। विमोचन के लिए `एमबीए चायवाला` के नाम से…

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हाथों में है ईश समाया

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** चिकित्सकों को नमन करूँ मैं। कर्म लगन पर ध्यान धरूँ मैं।कलयुग के अवतार यही है। फर्ज ध्येय से मुड़े नही है॥ 'कोरोना' की विषम घड़ी में। जुड़े…

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सत्य अहिंसा मूर्ति

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* महावीर जयंती विशेष... सत्य अहिंसा मूर्ति जो, ओत-प्रोत तप योग।चौबीस तीर्थंकर प्रभो, तजे जगत सुखभोग॥ धीर विनय त्रिशला तनय, नाम रखा सिद्धार्थ।राजपुत्र तज राज्य…

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कैसे जिऊँगी अब मैं…

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* क्यों कर दिया है बदनाम मुझे,अकेला जग में हमें छोड़ कर।कहो पिया कैसे जिऊँगी अब मैं,इस दुनिया से मुँह मोड़ कर। मानती हूँ मैं खूबसूरत नहीं…

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तनाव बहुत हैं!

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** जीवन तो है,पर जीवन मेंचारों ओर तनाव बहुत हैं। हाथों में बंदूक,मनों मेंनफरत का तावा,जैसे जंगलबोल रहा हो,बस्ती पर धावा। हलचल तो है,भीड़-भाड़ भीपर पथ में…

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संस्कार देती है साहित्यिक पत्रकारिता

सम्मान... इंदौर (मप्र)। संपादक के पास ‘सम्यक दृष्टि’ होनी चाहिए, जो मोती चुने, लेकिन आज मोती चुनने वाले संपादक कम होते जा रहे हैं। सम्पादक राकेश शर्मा उसी ‘हंस दृष्टि’…

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कोई नहीं यहाँ पीने वाला

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** दूर क्षितिज से उतरी वह, भूली-भटकी सी बाला,लिए हाथ में दीप शिखा, वह जला रही थी ज्वाला।सजा हुआ था अधरों पर, अमृत घट का प्याला,भरी हुई थी…

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