न्याय की भाषा के लिए भारतीय भाषाओं को राजकाज में स्थापित करना होगा- न्यायमूर्ति कोकजे

संगोष्ठी.... मुम्बई (महाराष्ट्र)। सरकार अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ शासन-प्रशासन के कामकाज में हिंदी भाषा अख्तियार कर ले तो हिंदी सहज तौर पर न्याय की भाषा भी बन जाएगी।पूर्व राज्‍यपाल…

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ऐसा धाम हो वसुंधरा

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** हो हरित वसुन्धरा.... हो हरित वसुन्धरास्वर्ग लगे ये जो धरा,कल्पवृक्ष-सी छाँव होपतझड़ जो हो हरा। जाप, ताप, ध्यान कोवसुंधरा के मान को,शांत चित्त ज्ञान कोआत्म हरित बुन…

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हमारा देश भारत

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** रचनाशिल्प:२१२२ २१२२ २१२.... सोच रख कर हम बड़ी कुछ तो करें।ठान ली है हम किसी से ना डरें॥जुल्म कैसा भी नहीं सहना हमें।यह प्रगति का चक्र…

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हे वसुन्धरा तुझे प्रणाम

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हो हरित वसुन्धरा.... हे हमारी माता वसुन्धरा तुझे प्रणाम,हमारी हरी-भरी वसुन्धरा तुझे प्रणाम। सुन्दर शोभ रही है अपनी खेतों की हरियाली,लहलहाती है अपनी धरती में, जौ-गेहूँ…

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कैसा जीवन बिना जल ?

डॉ. संगीता जी. आवचारपरभणी (महाराष्ट्र)***************************************** जल ही कल.... पीने लायक जल,कितना बचा है धरा पर ?फ़िकर करें हर पल,अब इसी अहम मुद्दे पर! लोगों की चाल-ढाल,और बदले हैं सबके आसारबहा…

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पर्यावरण रक्षा है जीवन से प्रेम

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* हो हरित वसुन्धरा.... पर्यावरण शुद्ध हो प्रकृति का आदर करें,प्राण वायु जल मिलें, जीवन रक्षक हैं। पौधों की रोपाई करें, वृक्षों के पालक बनें,प्रकृति से…

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धरती की बेचैनी

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** हो हरित वसुंधरा.... मानव अपनी धुन में मगन,विकास-विकास चिल्ला रहाएक पल ना सोंचता कैसे,अपनी हो हरित वसुंधरा ! मौसम भी रंग बदल रहा,सूरज ताप उगल रहाहवा में…

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बूंद न व्यर्थ गंवाएं

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ जल ही कल.... जल ही जल है, जल ही कल है,बूंद न व्यर्थ गंवायें।जल से मिलता जीवन कैसे,आओ हम समझायें॥ जल से ही दिखती है भू पर,खेतों में…

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जल ही जीवन

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* जल ही कल.... पानी बिन जीवन हो कैसे, गाँठ बाँध लें बात।जल सहेजकर ध्यान धरें यह, बहे नहीं दिन-रात॥ पानी के गुण को सब जानें, यह…

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वो माँ है न…

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** हो हरित वसुन्धरा.... सुनो रानी!आओ सुनाऊं एक कहानीप्यास लगी जब मानव को,धरा ने नदिया दे दीभूख लगी तो,शाक,फलों की बगिया दे दी। जो आहार पका के खाया,ढेरों…

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