साया

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* चुप का प्रश्नों पर जब साया होता है।राज़ यक़ीनन तब कुछ गहरा होता है। विश्वासों पर जब भी हमला होता है।दिल पर उनका गहरा…

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जाना चाहती हूँ मन आनंदित करने

वंदना जैनमुम्बई(महाराष्ट्र)************************************ जाना चाहती हूँ आनंदित होने,वन-वन मोहक दृश्य विचरण करनेकश्मीर-सा सुंदर मन भरने,चिनारों को भेदतीसूर्य किरणों को,गोल-गोल घूम कर साथ नचानेहिम आच्छादित पहाड़ों को,धूप से पिघलते हुए देखनेपत्तों की…

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प्रभु की रचना…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* रचनाशिल्प:मापनी- प्रति चरण १६ मात्रा, मुखड़ा ४ चरणों का, तथा तीन अंतरे ८-८ चरणों के प्रभु की रचना, कितनी न्यारी,जीव-जगत ने हर सुख पाया।मन…

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मन…?

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** भागो,सूरज पिघल रहा हैधरती की ओर,सैलाब बढ़ रहा है…चलो चाँद पर चलें,चाँद यहीं गिर जाएगातब ? मंगल,शनि,बुध…मेंन सभी है…सूरज की लपक लपट में,निहारिका,आकाश गंगा ?सब-कुछ जल रहा…

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मन बाग-बाग होता

जबरा राम कंडाराजालौर (राजस्थान)**************************** कभी-कभी इच्छानुरूप कुछ होता और सुहाता है,मन बाग-बाग होता, मन का मौसम बन जाता है। हर बात मन को भाती, कुछ-कुछ होने लगता है,सब-कुछ अच्छा लगता,…

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परिवार

डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’रायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* यह परिवार कहीं टूटे न,इसका होना भाग्य हैमाले की तरह पिरो रखें,निज कर्त्तव्य ही सौभाग्य है। लोगों के इस झुण्ड में,सब रिश्ते-नाते खो गएहुआ करते थे…

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ख़्वाब संभाला हमने ऐसे…

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* ख़्वाब संभाला हमने ऐसे,बीते हुए वर्षों में जैसेनींद उड़ी आँखों से जैसे,याद न आई तुमको कैसे ! सपने में हर पल जैसे,वो लम्हे मन में बसाए…

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बियाबान जिंदगी…

एम.एल. नत्थानीरायपुर(छत्तीसगढ़)*************************************** जिंदगी के बियाबान में,जो तनहा रह जाते हैंदिल तड़पता रहता है,चैन से नहीं रह पाते हैं। जीवन की शाम होते ही,ये परिवार टूटने लगते हैंहरे-भरे रिश्तों के पेड़…

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सत्य

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचनाशिल्प:मापनी-१२२ १२२ १२२ १२२ सभी को सदा सत्य साधे हुए है।सही राह संसार बाँधे हुए हैं॥न कोई रहे मुक्त संसार माया।बँधे मार्ग प्राणी सदा सत्य छाया॥…

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जल-संकट:व्यापक हित में विवेक से निर्णय आवश्यक

ललित गर्गदिल्ली ************************************** पिछले कई दिनों से गंभीर जल संकट से दिल्ली की जनता परेशान है। पानी की कमी से जूझ रहे लोग बूंद-बूंद पानी इकट्ठा कर रहे हैं और…

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