कारगिल घात बाकी है

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. सारी बात बाकी है। काली रात बाकी है। सुबह किसने देखी, शह व मात बाकी है। मिट जाऊँ तो क्या, ये कायनात बाकी है। मिट्टी था मिट्टी हूँगा, मानव जात बाकी है। भारत माता की जय, कारगिल घात बाकी हैll परिचय-इंदु भूषण … Read more

उसे हाल दिल का सुनाने चला हूँ

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** उसे हाल दिल का सुनाने चला हूँ। मैं फिर से नई चोट खाने चला हूँ। दुखा कर मेरा दिल ख़फ़ा जो हुआ है, उसी हमसफ़र को मनाने चला हूँ। है शीशा-ए-दिल का न कोई भरोसा, गले संगदिल को लगाने चला हूँ। है दिल ही कहाँ उसके सीने में यारों, … Read more

निभाने चला हूँ मैं

कैलाश झा ‘किंकर’ खगड़िया (बिहार) ************************************************************************************ पत्थर पे आज दूब जमाने चला हूँ मैं, मुमकिन यहाँ है कुछ भी तो गाने चला हूँ मैं। जो चीज दूर थी वो निकट आ गयी है अब, इक्कीसवीं सदी से निभाने चला हूँ मैं। तालीम की न फिक्र जहाँ है समाज को, उस गाँव में खुशी से पढ़ाने … Read more

अब कर्म करो

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* भोग ली है जिन्दगी अब कर्म करो, राजनीतिक प्रहरियों अब शर्म करो। दशकों वर्ष बीत चुके कुछ बाकी है, मन्दर-मस्जिद भूल मानवधर्म करो। सहत्र वर्ष की हो चुकी भाषणबाजी, रक्त न बहाओ क्रोध कुछ नर्म करो। युद्ध की गर्जना व ललकार समझो, व्यवस्था सुधारने हेतु रक्त गर्म … Read more

हर कोई बदहाल हुआ सावन में

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** हर कोई बदहाल हुआ है सावन में। पानी जैसे काल हुआ है सावन में। रोज कमाकर खाने वाला कुनबा तो, रोटी बिन बेहाल हुआ है सावन में। एक बरस क्यों चुप्पी साधे बैठा था ? मेंढक जो वाचाल हुआ है सावन में। कोई भीग रहा है मस्ती में देखो, … Read more

दोस्ती

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** (रचना शिल्प:अरकान-फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन २१२ १२२२ २१२ १२२२) दोस्ती को क्या समझे वो कोई पराया है, दोस्ती में जिसने बस जह्र ही पिलाया है। इस जहां में जीता था मैं गमों के साये में, मदभरी निगाहों से फिर मुझे रुलाया है। कुछ नहीं हुआ फिर भी दिल … Read more

बहुत याद आ रही है माँ

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** बहुत याद आ रही है माँ। जीना सिखला रही है माँl स्वयं पीकर कड़वाहट वो, मीठा दूध पिला रही है माँl भटक ना जाएँ हम कहीं, आँचल में छिपा रही है माँl अत्यंत थक चुका हूँ तभी, अपने पास बुला रही है माँl राष्ट्रहित व देशप्रेम कर … Read more

अहम रहा पैसा कभी नहीं

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** जो आदमी शरीफ़ हो,देखा कभी नहीं। मेरे लिए अहम रहा पैसा कभी नहीं। जिसमें निरीह जीव की हत्या करे सभी, तू कर यकीन वह सफल धंधा कभी नहीं। नित धर्म के अलाव पे रोटी जो सेंकता, धंधा उसी का चल पड़े,मन्दा कभी नहीं। बस एक बात जान लें शादी … Read more

विपरीत चल रही कश्तियां

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** अपनों की विकराल स्मृतियां। कष्ट निवारक नहीं आकृतियांl तुम्हें क्या कहें और कैसे कहें, बांटी थी सब लिखित प्रतियां। दण्ड भोग रहा देशभक्ति का, मूक दर्शक बनीं सब शक्तियां। न्याय हेतु प्रयासरत हूँ किंतु, अनुकूल नहीं हैं परिस्थियां। उस पार कहां,कैसे उतरूं मैं, विपरीत चल रही हैं … Read more

जुबां को तलवार कर दिया…

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** पहले तो खुद के इश्क में बीमार कर दिया। अपनी जुबां को बाद में तलवार कर दिया। ऐसी लगाई लत कि तलबगार हो गये, फिर बोल कड़वे दिल को छार-छार कर दिया। ये दोस्ती भी रब की इनायत समझ लें हम, करते हैं छल-फ़रेब अब व्यापार कर दिया। मानिन्द अपने … Read more