नया सवेरा
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ******************************************************* (रचना शिल्प:मात्रा भार १६+१६ हर पंक्ति) जिस दिन बिटिया घर आएगी,उस दिन नया सवेरा होगा,गोद में आकर मुस्काएगी,उस दिन नया सवेरा होगा। नया-नया अरुणोदय होगा,आँगन में रंगोली होगी,घर भर में खुशियाँ छायेंगी,उस दिन नया सवेरा होगा। खिला-खिला सा मौसम होगा,महक रही होगी फुलवारी,अमुआ पर कोयल गायेगी,उस दिन नया सवेरा होगा। ठुमक-ठुमक … Read more