लाल गुलाब
डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** तुम जाती हो बगिया में जब-जब भी प्रियतम, और हास में खुल जाते हैं अधर तुम्हारे। हीन भावना से ग्रसित हो लाल गुलाब तब, गिनने लगता उस बगिया में असर तुम्हारे॥ सब कलियां शरमाती स्तब्ध सुमन हो जाते, परियां भ्रमित होकर अपनी मीत बुलातीं। देखो भ्रमर कानाफूसी करने लगते, लतिकायें … Read more