जाल ही जाल:सख्ती आवश्यक
शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* फ़रेब-धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, नक़ली पदार्थों का कारोबार आदि समाज में फैली ऐसी विकृतियाँ हैं, जो लोगों ने अपनी महत्वकांक्षाओं की पूर्ति के लिए सुगम साधन के रूप में उत्पन्न की हैं। दीर्घ समय से चली आ रहीं इन विकृतियों तथा अपने तौर-तरीक़ों में शीघ्रता से बदलाव ला पाना प्रचलित व्यवस्थाओं व नैतिक … Read more