ये जीवन इक रंगमंच

रीना गोयल यमुना नगर(हरियाणा) ************************************************************* ये जीवन इक रंग मंच है,अलग-अलग किरदार। कठपुतली के खेल में हुए,हम सब हिस्सेदार। कोई नराधम हुआ धरा पर,चलता कुत्सित राह। ओर निभाये कोई मीत बन,डाल प्रीत की बाँह। नानक सम है सतगुरु कोई,तो कोई घनश्याम। भूमिकाएं सब निभा रहे हैं,क्या रहीम क्या राम। अजब-गजब प्रस्तुतियां देकर,दिल छूते हर बार। … Read more

यह श्रृंगार नहीं जाए

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. प्यारी पृथ्वी जीवन दात्री, सब पिण्डों में,अनुपम है। जल,वायु का मिलन यहाँ पर, अनुकूलन भी उत्तम है। सब जीवों को जन्माती है, माँ के जैसे पालन भी। मौसम ऋतुएँ वर्षा,जल,का करती यह संचालन भी। सागर हित भी जगह बनाती, द्वीपों में यह बँटती है। पर्वत नदियाँ … Read more

पिता हैं ईश्वर रूप

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* (रचना शिल्प:२२ मात्रा, १२,१० पर यति। यति से पूर्व व पश्चात त्रिकल व अंत में गुरु वर्ण) पिता है सबके पूज्य,मान उनका करो। सदा वही त्याग करें,ध्यान उनका धरो। सुख और दु:ख में रहे,संग परिवार के। निस्वार्थ प्यार करे,काम आय सबकेll पिता हैं ईश्वर रूप,धीर गंभीर है। खुद सदा दुःख … Read more

नेह नीर मन चाहत

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचनाशिल्प:१६,१२ मात्राएँ,चरणांत में गुरु गुरु,२२,२११,११२,या ११११) ऋतु बसंत लाई पछुआई,बीत रही शीतलता। पतझड़ आए कुहुके,कोयल,विरहा मानस जलता। नव कोंपल नवकली खिली है,भृंगों का आकर्षण। तितली मधु मक्खी रस चूषक,करते पुष्प समर्पण। बिना देह के कामदेव जग,रति को ढूँढ रहा है। रति खोजे निर्मल मनपति को,मन व्यापार बहा है। वृक्ष बौर से … Read more

आतंकवाद एक खतरा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* खतरा बना आज यह भारी,विश्व प्रताड़ित है सारा। देखो कर लो गौर मानवी,मनु विकास इससे हारा। देश-देश में उन्मादी नर,आतंकी बन जाते हैं। धर्म वाद आधार बना कर,धन-दौलत पा जाते हैं। भाई-चारा तोड़ आपसी,सद्भावों को मिटा रहे। हो,अशांत परिवेश समाजी,अपनों को ये पिटा रहे। भय-आतंकवाद का खतरा,दुनिया में मँडराता है। पाक … Read more

आजादी के थे दीवाने

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** चंद्रशेखर आजाद शहीद दिवस स्पर्धा विशेष……….. आजादी के थे दीवाने, नाम चन्द्रशेखर आजाद। बलिदानी मानव को हम भी, आओ कर लें कुछ पल यादll काकोरी में ट्रेन डकैती, भरी खजाने को दी खोल। निर्भय रहते डरे नहीं वो, भारत माता की जय बोलll छोटा-सा बालक जब थे वो, … Read more

मधुमास

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** झूम चली मधुमास लिये यह गंध भरी पछुवा मतवाली, रंग भरे बहु फूल खिले गुलजार हुई तरु की हर डाली, किन्तु उदास रहे मन आज वियोग सहे चुभती यह बाली, साजन छोड़ गये परदेश लगे सब सून हुआ घर खाली। परिचय–वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। जन्म … Read more

सर पे कफन बांध कर चले

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** आज देश है पुकारता, दुश्मनों को है ललकारता। साथियों चलो संवर के आज, माटी की सौगंध ले चले॥ इस देश से आतंक मिटाना, दुश्मनों को मार भगाना। जी-जान से इस देश की रक्षा, करने को प्राण हाथ ले चले॥ देश का झंडा चूमे गगन, ऊंचाइयों को छू ले यह चमन। … Read more

स्वदेश महान

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचनाशिल्प:जगण,जगण १२१,१२१-६ वर्ण,८ मात्रा,दो-दो चरण सम तुकांत,चार चरण का एक छंद) करें जय गान! शहादत शान! सुवीर जवान! स्वदेश महान! करें गुण गान! सुधीर किसान! पढ़े इतिहास! बचे निज त्रास! धरा निज मात! प्रणाम प्रभात! पिता भगवान! सदा सत मान! रहे यश गान! स्वदेश महान! प्रवीर जवान! सुधीर किसान! परिचय : बाबूलाल … Read more

मीरा

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* गिरिधर के प्रेम में दिवानी, मीरा बनी बावरी। जोगन बनकर फिरती जग में, दिवस और विभावरी॥ कान्हा की मूरत को लेकर, ध्यान उसका ही करे। हाथों में इकतारा लेकर, गुणों बखान का करे॥ फिरती दर-दर जोगिन बनकर, भक्ति करती कान्ह की। मोर पंख कांधे पर झोली, दासी बनी श्याम की॥ … Read more