श्रमसीकर ही नींव

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************** श्रमसीकर नित पूज्य हों,पायें अति सम्मान।श्रम से ही धनधान्य है,श्रम से ही उत्थान॥ श्रम से ही ऊँचे भवन,श्रम से ही है कोष।श्रमजीवी भूखा अगर,बोलो किसका दोष॥ श्रम से सारे खेत हैं,श्रम से ही उद्योग।श्रम से ही आता सदा,उच्च अर्थ का योग॥ श्रम से ही हैंं पटरियाँ,सड़कें,नहरें,यान।रेलें,कारें और ट्रक,राष्ट्रप्रगति का मान॥ … Read more

पुस्तक-महत्ता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ********************************************* विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष…… पुस्तक में संसार है,भरा हुआ आलोक।पुस्तक में जो धर्म है,उससे जगमग लोक॥ पुस्तक में नवचेतना,भरा हुआ है ज्ञान।पुस्तक दे संसार को,सचमुच नवल विहान॥ पुस्तक में विज्ञान है,पुस्तक अनुसंधान।पुस्तक तो आवाज़ है,पुस्तक है यशगान॥ पुस्तक नित उत्थान है,पुस्तक है अरमान।पुस्तक मंगलगान है,पुस्तक सुर,लय तान॥ पुस्तक अंत:चेतना,पुस्तक … Read more

देतीं ज्ञान प्रकाश

श्याम मोहन नामदेवनिवाड़ी(मध्यप्रदेश)********************************** विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष…… पुस्तक उत्तम मित्र हैं,देती सबको ज्ञान।शिक्षित करतीं हैं हमें,करतीं धैर्य प्रदान॥ उत्तम पुस्तक हैं सखे,दीप प्रज्वलित खास।हरतीं तम अज्ञान का,देतीं ज्ञान प्रकाश॥ आलोकित करतीं सदा,मनज कल्पना शक्ति।ये सजीव प्रतिमा सरल,कर लो इनकी भक्ति॥ विज्ञापन के रहित ये,देतीं हैं आनंद।करें उल्लसित ये हमें,पुस्तक परमानन्द॥ पुस्तक उत्प्रेरित सरल,करे दिमाग … Read more

तीर्थंकर को नमन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************** सत्य अहिंसा प्रीति पथ,महावीर आचार।तीर्थंकर चौबीसवाँ,करुणा का अवतार॥ दया क्षमा परमार्थ ही,है जीवन का सार।करें प्रीति सुष्मित प्रकृति,हो जीवन उद्धार॥ क्षिति जल नभ पावक पवन,नाशवान यह गात्र।पर पीड़ा मोचक बने,जीवन सफल सुपात्र॥ विनत भाव सादर नमन,तीर्थंकर अभिराम।बना दिगम्बर चल पड़ा,जगत शान्ति पैगाम॥ परहित में रत जिंदगी,धर्म नीति सम्मान।जीया जग … Read more

पुस्तक पढ़ ज्ञानी बनें

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष…… पुस्तक होती है सदा,सबसे अच्छा मित्र।ज्ञान हमें देती यही,प्रस्तुत करती चित्र॥ पुस्तक पढ़कर के सदा,बनता है विद्वान।जीवन के हर दुःख का,मिलता उसे निदान॥ पुस्तक पढ़कर के मिले,जीवन में संस्कार।सरस्वती की हो कृपा,होवे शुद्ध विचार॥ माता पुस्तकधारिणी,करती कृपा अपार।करता उसकी भक्ति जो,मिट जाय अंधियार॥ पुस्तक पढ़कर भी … Read more

पुस्तक अपनी मित्र

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)*************************************** विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष…… पुस्तक अपनी मित्र है,रखना इसे सम्हाल।साथ निभाती है यही,हर युग औ हर काल॥ शब्दों का भण्डार है,यही खजाना ज्ञान।जो भी पढ़ता है इसे,वो बनता धनवान॥ बच्चे-बूढ़े हैं सभी,लेते इससे ज्ञान।फुर्सत में सुख देत हैं,धर्म-कर्म विज्ञान॥ पुस्तक की दुनिया भली,देती इक संसार।अपनों के आनन्द में,फिर खो … Read more

साहस मन में हो भरा

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** ‘कोरोना’ का काल है,विपदा बड़ी असीम।इसके आगे सब झुके,दुर्बल हों या भीम॥ मंजिल पाता है वही,करता जो प्रयास।अथक राह चलता चले,सहता है उपहास॥ साहस मन में हो भरा,रहे अटल विश्वास।तब खुद चलकर ही सदा,मंजिल आती पास॥ राम नाम में बल बड़ा,अकथ अनोखी बात।चाहे कितनी हो निशा,हो जाती प्रभात॥ घर के भीतर ही … Read more

प्रथम राष्ट्र अस्तित्व

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************** निश्छल मन पावन हृदय,स्वाभिमान व्यक्तित्व।प्रिया प्रसीदा भाविनी,रखी शक्ति अस्तित्व॥ गात्र सुकोमल चारुतम,विमल हृदय व्यक्तित्व।सत्यपूत परहित पथी,सर्वगुणी अस्तित्व॥ मृदुल वचन समधुर श्रवण,परसुख निज अस्तित्व।प्रीति साँच हो न्यायपथ,हरे शोक व्यक्तित्व॥ नारायण सम मांगलिक,आनंदक व्यक्तित्व।व्याधि निवारक हो दवा,मधुर वचन अस्तित्व॥ गौरव जो हो राष्ट्र का,राजनीति अस्तित्व।महाज्वाल संघर्ष का,धारदार व्यक्तित्व॥ आएँगी पथ मुश्किलें,हो … Read more

ब्रज अधिपति गोपाल

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)********************************* ब्रज अधिपति गोपाल हे,सुन लो आज पुकार।प्रेम-भक्ति आशा लिए,आया तेरे द्वार॥ श्री हरि रूप अनन्त है,जैसा भी हो जाप।सकल चराचर जीव में,कृष्ण समाये आप॥ संगम है यह प्रेम का,राधा अरु घनश्याम।इनसे ही संसार है,पूजन आठों याम॥ ग्वाल बाल के रूप में,वन में दीनानाथ।सखी राधिका साथ में,लिए बाँसुरी हाथ॥ वृंदावन के … Read more

‘संकट’ से मिल के लड़ें

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* ‘संकट के इस दौर में,रखें धैर्य विश्वास।आत्मनियंत्रित हों सभी,यह विचार है खास॥ लौटें हम अध्यात्म में,भौतिकता को त्याग।कोई रोग न दोष हो,’संकट’ जाए भाग॥ तन से दूरी हो भले,मन से रहे न दूर।‘संकट’ में सब साथ हों,प्रेम रहे भरपूर॥ मतभेदों को भूलकर,सभी रहें इक साथ।‘संकट’ से मिल के लड़ें,ले हाथों में … Read more