कर्मों का फल
इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** अभिशापित और दुखी हूँ अपने-आप से। जैसे शनि का युद्ध था अपने ही बाप से। कर्मों का फल है दोष कहां पड़ोसियों का, दिन बीत जाता है,डरता हूँ काली रात से। वह कहते मैं सिरे का झूठा हूँ विश्वभर में, और स्वयं मुकर रहे हैं अपनी ही … Read more