एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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चंद साँसों के बाद बस तस्वीर रह जाती है,
विधि-विधान की लिखी लकीर रह जाती है।
इसलिए हो सके तो बस अच्छे कर्म करिये-
बचता न कुछ शेष यादों की जंजीर रह जाती है॥
नज़र बदलो तो नज़ारा ही बदल जाता है,
करो उजाला अंधियारा भी बदल जाता है।
मन का अहमो-वहम बदले तो बदलती है तक़दीर-
बदलें विचार तो जिंदगी का गुजारा बदल जाता है॥
भविष्य की मत सोचो कि कल आने को अभी शेष है,
अतीत तो केवल बीता हुआ परिप्रेक्ष्य है।
कल,आज और कल में आज ही अति महत्वपूर्ण-
वर्तमान ही वास्तव में अति विशेष है॥
उजाला लाने को सूरज को अंधेरे को हराना पड़ता है,
धारा को नदी बनने को चट्टानों को बहाना पड़ता है।
नित्य नई अवस्था बदलती रहती है निरंतर-
यदि व्यक्तित्व को निखारना तो अहम को दबाना पड़ता है॥