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बदल गया इंसान

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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चाँद न बदला,
सूरज न बदला….
न बदला है भगवान,
बस बदल गया इंसान।

दिन न बदला,
रात न बदली….
न बदला है ज्ञान,
बस बदल गया ध्यान।

गुरु न बदला,
शिष्य न बदला…
न बदला है गुरुज्ञान,
बस बदल गया इन्सान।

राजा न बदला,
प्रजा न बदली…
न बदला है दीवान,
बस बदल गया ईमान।

आस न बदली,
पड़ौस न बदला..
न बदला है मेहमान,
बस बदल गया इन्सान।

खेल न बदला,
खिलाड़ी न बदला…
न बदला है मैदान,
बस बदल गया इन्सान।

खेत न बदला,
खलिहान न बदला…
न बदला है गेहूँ धान,
बस बदल गया इंसान।

देश न बदला,
प्रदेश न बदला…
न बदला है सामान,
बस बदल गया इंसान॥

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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