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करें खुद से प्यार

इलाश्री जायसवाल
नोएडा(उत्तरप्रदेश)

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‘तंदुरुस्ती हज़ार नियामत है’,यह कहावत हम सबने हज़ार बार सुनी होगी,लेकिन मानी कितनी बार होगी ? यह मानने वाली स्त्रियां या तो होंगी ही नहीं,या ना के बराबर होंगी। इसी संदर्भ में दूरदर्शन पर बहुत समय पहले दिखाया जाने वाला विज्ञापन याद आ रहा है,जिसमें एक गर्भवती स्त्री को दिखाया जाता है,वह सबको खाना देती है,उसके लिए कुछ नहीं बचता तो वह सूखी रोटी यह कहकर खाती है,”मेरा क्या है, मैं तो नमक के साथ सूखी रोटी खा लूंगी।” इस विज्ञापन में स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि स्त्री चाहे वह गर्भवती ही क्यों न हो,अपना ध्यान नहीं रखती। आखिर ऐसा क्यों,ये एक विचारणीय प्रश्न है। इसके पीछे कहीं न कहीं सदियों से चली आ रही बातें भी हैं। स्त्रियों को हमेशा से त्याग और कर्तव्य के उच्च सिंहासन पर आसीन किया गया है,जिसमें यह बात सबसे पहले उनमें कूट-कूट कर भरी जाती है कि तुम्हें अपने बारे में नहीं सोचना है,हमेशा घर-परिवार के बारे में सोचना है,जो करना है उनके लिए ही करना है। स्वयं को चाहे जो हो जाए,घर-परिवार पीछे नहीं रहना चाहिए। मैं भी इससे सहमत हूँ कि हमारा कर्तव्य अपने घर-परिवार के लिए है,पर इसका यह अर्थ नहीं कि हम अपने बारे में या अपने स्वास्थ्य के बारे में कुछ न सोचें। हमारा स्वास्थ्य ठीक होगा,तभी तो पूरे जोश के साथ सबके लिए कुछ कर पाएंगे। ये सोचना कि हमारे लिए कोई सोचे या कुछ करे,गलत है, हमें अपने लिए पहला कदम खुद ही उठाना होगा। समय-समय पर शारीरिक जांच करवाना,आराम करना,बढ़ती उम्र के साथ जीवन- शैली में बदलाव लाना,खान-पान का ध्यान रखना,व्यायाम करना और सबसे महत्त्वपूर्ण बात-हँसना,ये सब हमें करना चाहिए। अपने लिए आलस क्यों ? ‘काम प्यारा होता है,चाम नहीं’,ऐसी सोच को और ऐसी सोच वाले लोगों को अपने से थोड़ा दूर ही रखें। अरे,चाम( शरीर) ठीक होगा,तभी तो काम भी होगा। थोड़ा समय अपने लिए भी निकालेंl ये सोचें कि आप परिवार की धुरी हैं इसलिए आपका सुचारू रूप से चलना अनिवार्यता है। त्याग और कर्तव्य की मूर्ति बनें,पर थोड़ा स्वार्थी भी। एक अच्छी बेटी,बहन,पत्नी या माँ बनने के साथ एक अच्छी और जागरूक स्त्री भी बनें,थोड़ा खुद से भी प्यार करें, अपने को निहारें,मुआयना करें और संवारें अपनी सूरत भी और सेहत भी।

परिचय-इलाश्री जायसवाल का जन्म १९७८ में २५ जून को हुआ हैl अमरोहा में जन्मीं हैंl वर्तमान में नोएडा स्थित सेक्टर-६२ में निवासरत हैंl उत्तर प्रदेश से सम्बन्ध रखने वाली इलाश्री जायसवाल की शिक्षा-एम.ए.(हिंदी-स्वर्ण पदक प्राप्त) एवं बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-हिंदी अध्यापन हैl लेखन विधा-कविता,कहानी,लेख तथा मुक्तक आदि हैl इनकी रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा पोर्टल पर भी हुआ हैl आपको राष्ट्रीय हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार व काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान मिला हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी-साहित्य सेवा हैl इनके लिए जीवन में प्रेरणा पुंज-माता तथा पिता डॉ.कामता कमलेश(हिंदी प्राध्यापक एवं साहित्यकार)हैंl

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