कुल पृष्ठ दर्शन : 580

वीरों की धरती

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
**********************************************************************

वीरों की धरती है भारत ये दुनिया ने माना है,
करते हैं इसको प्रणाम जिसने भी इसको जाना है।

ये भारत की धरती है वीरों की खेती होती है,
पैदा होता वीर यहां पर वो ही असली मोती है।

नाम अनगिनत हैं वीरों के किसके नाम गिनाऊँ मैं,
ये मेरी भारत माता जननी वीर प्रसूति है।

वीर शिवा,राणा प्रताप,राणा सांगा,हम्मीर हुए,
अमर सिंह,औ पृथ्वीराज जयमल पत्ता से वीर हुए।

दुर्गावती,हाड़ी रानी,लक्ष्मीबाई-सी महारानी,
सभी हुईं बलिदान देश पर ये थी सारी मर्दानी।

भगतसिंह,सुखदेव राजगुरु सबने कसम उठाई थी,
बिस्मिल,अशफाक,आजाद ने गोरों को धूल चटाई थी।

बोस सुभाष चन्द्र ने फौज का था निर्माण किया,
नारा दिया ‘चलो दिल्ली’ आजाद हिंद-सा नाम दिया।

और बहुत अनजान वीर थे मैं जिनका दम भरता हूँ,
सभी हुए बलिदान देश पर नमन उन्हें मैं करता हूँ।

आज देश की सीमा पर चीनी ड्रेगन चढ़ आया है,
ऐ भारत के वीरों करना उनका आज सफाया है।

कमी नहीं है वीरों की,सीने पर गोली खाते हैं,
वो शहीद भारत के यारों कफन तिरंगा पाते हैं।

चीन औ पाकिस्तान भला तुम हमसे क्या टकराओगे,
शेरों की सेना है सुन लो टुकड़ों में बंट जाओगे।

जितना दम है आज लगा ले,कुछ भी कर न पाएगा,
यही तिरंगा आसमान में लहर-लहर लहराएगा॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है।

Leave a Reply