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एक-दूजे के लिए…

मधु मिश्रा
नुआपाड़ा(ओडिशा)
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महिला दिवस स्पर्धा विशेष……

हाँ…ये सच है कि वज़ूद मेरा तुमसे है,पर
नज़र में आना ही काफ़ी नहीं होता साहब…
आठों पहर मुझमें ही तो अक़्स तुम्हारे गुम से हैं…।
ये भी तो सच है कि मेरे बग़ैर तुम्हारे इरादे सारे…
कुछ भीगे-भीगे और कुछ नम से हैं…।
बरस जाओ चाहे बदली बनकर आँचल में मेरे…
पर इंद्रधनुष-सा रंग संवरता तो हमसे है..
हाँ…हर काम में सुना है मैंने नाम तुम्हारा,
पर,रत्ती भर ही सही मेहनत भी तो हुई हमसे है…।
हाँ…ये भी सच है कि ज़िन्दगी की धूप को…
बहुत ज़्यादा झेलते रहे हो तुम,
बहुत संघर्ष है तुम्हारा भी…
पर छाँव की हरियाली भी तो हमसे है..।
और ये भी तो सच है कि,
वक़्त बेवक़्त की मार से तुम..
सीधे-सीधे झुलस भी तो जाते हो…
पर दुआओं का मरहम भी तो हमसे है…।
हाँ…इस मीठे सच को हमेशा मानते रहे हैं हम,
के बरगद हो तुम…मेरे आशियाने का…।
हाँ,माना है तुम्हारे वजूद को भी,
पर आँगन की तुलसी भी तो हमसे है…॥

परिचय-श्रीमती मधु मिश्रा का बसेरा ओडिशा के जिला नुआपाड़ा स्थित कोमना में स्थाई रुप से है। जन्म १२ मई १९६६ को रायपुर(छत्तीसगढ़) में हुआ है। हिंदी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती मिश्रा ने एम.ए. (समाज शास्त्र-प्रावीण्य सूची में प्रथम)एवं एम.फ़िल.(समाज शास्त्र)की शिक्षा पाई है। कार्य क्षेत्र में गृहिणी हैं। इनकी लेखन विधा-कहानी, कविता,हाइकु व आलेख है। अमेरिका सहित भारत के कई दैनिक समाचार पत्रों में कहानी,लघुकथा व लेखों का २००१ से सतत् प्रकाशन जारी है। लघुकथा संग्रह में भी आपकी लघु कथा शामिल है, तो वेब जाल पर भी प्रकाशित हैं। अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में विमल स्मृति सम्मान(तृतीय स्थान)प्राप्त श्रीमती मधु मिश्रा की रचनाएँ साझा काव्य संकलन-अभ्युदय,भाव स्पंदन एवं साझा उपन्यास-बरनाली और लघुकथा संग्रह-लघुकथा संगम में आई हैं। इनकी उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान,भाव भूषण,वीणापाणि सम्मान तथा मार्तंड सम्मान मिलना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-अपने भावों को आकार देना है।पसन्दीदा लेखक-कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद,महादेवी वर्मा हैं तो प्रेरणापुंज-सदैव परिवार का प्रोत्साहन रहा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी मेरी मातृभाषा है,और मुझे लगता है कि मैं हिन्दी में सहजता से अपने भाव व्यक्त कर सकती हूँ,जबकि भारत को हिन्दुस्तान भी कहा जाता है,तो आवश्यकता है कि अधिकांश लोग हिन्दी में अपने भाव व्यक्त करें। अपने देश पर हमें गर्व होना चाहिए।”

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