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अपराधबोध

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष………


तब मैं कक्षा दस का विद्यार्थी था। बोर्ड की परीक्षा थी,इसलिए बड़े दिन की छुट्टियां होने के उपरांत भी रोज़ाना सुबह दस से दो बजे तक एक्सट्रा क्लासेज लग रही थीं। घर से,मैं ठीक पौने दस बजे स्कूल को निकल जाता था ।
मुझे ठीक से याद है वह २९ दिसम्बर का दिन था। माँ की तबियत कुछ ठीक नहीं थी,तो उस दिन नाश्ता नहीं बन पाया,तो मैं गुस्सा करता हुआ साइकल उठाकर स्कूल को निगल गया।
ठीक ग्यारह बजे प्यून ने आकर क्लास ले रहे मेरे टीचर को ख़बर दी कि,शरद से मिलने कोई आया है,तो टीचर ने मुझे बाहर जानकर आगंतुक से मिल लेने को कहा। मैंने बाहर जाकर देखा कि मेरे बाबूजी खड़े हैं। वे मेरा लाड़ से हाथ थामकर मुझे स्कूल के कैन्टीन में ले गए,और जेब से २ सेब निकालकर खाने को दिए,और कहा कि-‘खाओ।’ कहने लगे कि, “तुम गुस्से में बिना नाश्ता किए ही आ गए। भला अपनी माँ से कोई ऐसे नाराज़ होता है ?”
सेब खा लेने के बाद उन्होंने चाय पिलाई,पर ख़ास
बात उन्होंने ख़ुद चाय नहीं पी,जबकि वे चाय के बड़े शौकीन थे। और जाते-जाते बोले कि,-“तुम भूखे आ गए तो तुम्हारी माँ और मैंने भी कुछ नहीं खाया है।”
बाबूजी तो चले गए,पर मैं अपराधबोध में ऐसा भरा कि आज तक उस अपराधबोध को महसूस करता हूँ। सच में,उन बड़े दिन की छुट्टियों ने मुझे कुछ इस कदर संवेदनशील व परिपक्व बना दिया कि आज भी मैं किसी पर गुस्सा करने से कोसों दूर रहता हूँ। माता-पिता तो अब रहे नहीं,पर मेरा अपराधबोध यथावत है।

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैl आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैl एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंl करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंl साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंl  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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