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गीता ज्ञान

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र
देवास (मध्यप्रदेश)
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शान्ति का न जब कोई,
बचा विकल्प था,
हठी दुर्योधन का बस,
युद्ध ही संकल्प था।
जंग की रणभेरियाँ जब बज गई,
दोनों सेना सामने थीं सज गई।
देख सामने बन्धु-बाँधत्व,
अर्जुन का सिर चकराया।
अपनों से मैं युद्ध करुँगा,
ये कैसी है माया ?
भाई का वध करके मैं पाऊँ,
राज्य मेरे किस काम का ?
नहीं सूझता कोई हल अब,
इस अंधेरी शाम का
पटक दिया धरा पर गाण्डीव,
मन विषाद से भर गया।
ऐसा लगा कि अर्जुन का वो,
सारा पौरुष मर गया
देख पार्थ की हालत कृष्ण,
मंद-मंद मुस्काए।
दिया ज्ञान गीता का फिर,
सारे भेद बताए
कौन तुम्हें है मार सकता,
क्यों व्यर्थ की चिंता।
आत्मा कभी नहीं मरती है,
सिर्फ शरीर है मरता
जो हुआ अच्छा हुआ है,
और जो होगा अच्छा।
भूत-भविष्य की चिंता छोड़ो,
वर्तमान है सच्चा
क्या तुम लेकर आए थे,
जो तुमने है खोया।
जो तुम्हारा है नहीं,
उस पर क्यों मन रोया
जो आज तुम्हारा है,
कल किसी और का होगा।
यहीं से हमने लिया था,
यहीं छोड़ना होगा
हमने क्या पैदा किया,
जो नष्ट हो गया हमारा।
यहीं से पाना,यहीं पे देना,
यही नियम है सारा
आए थे हम खाली हाथों,
खाली हाथ है जाना।
कितना भी तुम करो इकट्ठा,
सब यहीं रह जाना
परिवर्तन है नियम सृष्टि का,
परिवर्तन बहुत ज़रूरी।
सूत्रपात फिर नये युग,
होना बहुत ज़रूरी
कर्म का अधिकार है तेरा,
कर्म से नाता जोड़।
अर्पण करके प्रभु चरणों में,
फल की चिंता छोड़
अर्जुन को दे दिव्य दृष्टि,
विराट रूप फिर दिखलाया।
चिंता हर के चिंताहरण ने,
गीता ज्ञान सिखलाया
गीता सार की श्रीकृष्ण ने,
ज्योति ऐसी जलाई।
अन्धकार में भटके मन को
राह नई दिखलाई॥

परिचय-सुरेन्द्र सिंह राजपूत का साहित्यिक उपनाम ‘हमसफ़र’ है। २६ सितम्बर १९६४ को सीहोर (मध्यप्रदेश) में आपका जन्म हुआ है। वर्तमान में मक्सी रोड देवास (मध्यप्रदेश) स्थित आवास नगर में स्थाई रूप से बसे हुए हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का रखते हैं। मध्यप्रदेश के वासी श्री राजपूत की शिक्षा-बी.कॉम. एवं तकनीकी शिक्षा(आई.टी.आई.) है।कार्यक्षेत्र-शासकीय नौकरी (उज्जैन) है। सामाजिक गतिविधि में देवास में कुछ संस्थाओं में पद का निर्वहन कर रहे हैं। आप राष्ट्र चिन्तन एवं देशहित में काव्य लेखन सहित महाविद्यालय में विद्यार्थियों को सद्कार्यों के लिए प्रेरित-उत्साहित करते हैं। लेखन विधा-व्यंग्य,गीत,लेख,मुक्तक तथा लघुकथा है। १० साझा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है तो अनेक रचनाओं का प्रकाशन पत्र-पत्रिकाओं में भी जारी है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अनेक साहित्य संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। इसमें मुख्य-डॉ.कविता किरण सम्मान-२०१६, ‘आगमन’ सम्मान-२०१५,स्वतंत्र सम्मान-२०१७ और साहित्य सृजन सम्मान-२०१८( नेपाल)हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्य लेखन से प्राप्त अनेक सम्मान,आकाशवाणी इन्दौर पर रचना पाठ व न्यूज़ चैनल पर प्रसारित ‘कवि दरबार’ में प्रस्तुति है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज और राष्ट्र की प्रगति यानि ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त,सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ एवं कवि गोपालदास ‘नीरज’ हैं। प्रेरणा पुंज-सर्वप्रथम माँ वीणा वादिनी की कृपा और डॉ.कविता किरण,शशिकान्त यादव सहित अनेक क़लमकार हैं। विशेषज्ञता-सरल,सहज राष्ट्र के लिए समर्पित और अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिये जुनूनी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
“माँ और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर होती है,हमें अपनी मातृभाषा हिन्दी और मातृभूमि भारत के लिए तन-मन-धन से सपर्पित रहना चाहिए।”

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