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गीता ज्ञान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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मुझे गीता ने सिखलाया,जिऊँ मैं कैसे यह जीवन,
सुवासित कैसे कर पाऊँ,मैं अपनी देह और यह मन।
मैं चलकर कर्म के पथ पर,करूँ हर पल का नित वंदन-
महकता मेरा गीता-ज्ञान से,जीवन औ’ घर-आँगन॥

कर्म को मानकर पूजा,ही मन को तुम प्रबल रखना,
बनो तुम निष्कपट मानव,यही आदर्श फल चखना।
नहीं करना कभी तुम,एक पल परिणाम की चिंता-
कि बस कर्त्तव्य-पथ पर,आगे ही बढ़ते सदा दिखना॥

अमर है आत्मा सबकी,यही गीता ने सिखलाया,
नहीं जिसका मरण होता,यही इक सत्य दिखलाया।
अमर हैं कृष्ण और अमरत्वमय है ज्ञान की वाणी-
सकल ब्रम्हांड में श्रीकृष्ण ने आलोक फैलाया॥

मोह अर्जुन का मारा था,सुनाकर ज्ञानमय गीता,
जो समझा ज्ञान यह गहरा,वही अज्ञान को जीता।
समझ लें धर्म को,और नीति-दर्शन,सत्य की वाणी-
बना लो मन को यूँ पावन,जो नित गीता-अमिय पीता॥

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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