कुल पृष्ठ दर्शन : 334

You are currently viewing अपनी भाषा हिंदुस्तानी

अपनी भाषा हिंदुस्तानी

अख्तर अली शाह `अनन्त`
नीमच (मध्यप्रदेश)

**********************************************

सत्य अहिंसा न्याय दया की,
रही सदा जो पटरानी।
दुनिया में आला सबसे,
हिंदी भाषा हिंदुस्तानी॥

नस-नस में है खून हिंद का,
हिंदुस्तानी ऑन रहे।
पले हिंद की भूमि में हम,
हिंदी ही अभिमान रहे॥
संस्कृति भाषा भूषा का,
नहीं जहां सम्मान रहे।
मानवता को दफनाने का,
ही सचमुच सामान रहे॥
है संकल्प यही हिंदी हित,
देंगे हम हर कुर्बानी।
दुनिया में आला सबसे,
हिंदी भाषा हिंदुस्तानी…॥

अरबों की भाषा अरबी,
यूनान की जब यूनानी है।
नेपाली नेपाल में है,
जापान की जब जापानी है॥
जर्मनी रही है जर्मन की,
इग्लैंड की इंग्लिश रानी है।
क्योंकर भूल जाएंगे अपनी,
भाषा जो सम्मानी है॥
भाषा हिंदी भाल की बिंदी,
नहीं करेंगे नादानी।
दुनिया में आला सबसे,
हिंदी भाषा हिंदुस्तानी…॥

तिब्बती भाषा है तिब्बत की,
बर्मी बर्मा की सब जाने।
पुर्तगाली है पुर्तगाल की,
क्या इससे हैं अनजाने॥
रूसी भाषा रूस की है
सारी दुनिया इसको माने।
फ्रांस निवासी फ्रांसीसी,
भाषा से जाते पहिचाने॥
अपनी भाषा छोड़ भला क्यों,
हम करते बेईमानी।
दुनिया में आला सबसे,
हिंदी भाषा हिंदुस्तानी…॥

प्यार किया अंग्रेजी से तो,
घर अपना बर्बाद किया।
हुई अवज्ञा हिंदी की बस,
अंग्रेजी को याद किया॥
भूल गए अपने घर को ये,
कैसा घर आबाद किया।
ना तो हम शादाब हुए न,
औरों को शादाब किया॥
गए गर्त में इसीलिए हम,
करते आए मनमानी।
दुनिया में आला सबसे,
हिंदी भाषा हिंदुस्तानी…॥

याद करो इतिहास पुराना,
जगतगुरु कहलाते थे।
मानवता की शिक्षा लेने,
लोग दूर से आते थे
तक्षशिला नालंदा सबको
सच्चा ज्ञान बताते थे।
हिंदुस्तानी यश परचम को,
दुनिया में फैलाते थे॥
अपनी उसी विरासत से,
अनजान नहीं हिंदीज्ञानी।
दुनिया में आला सबसे,
हिंदी भाषा हिंदुस्तानी…॥

Leave a Reply