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भाग कर विवाह करना सामाजिक रुप से जायज नहीं

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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कानून ने २ बालिगों को अपनी मर्जी से एक-दूसरे के साथ ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहने और विवाह करने को पूरा संरक्षण दिया है,न्यायालय भी २ बालिगों को विवाह करने,विवाह के पहले संबंध बनाने,विवाह के बाद संबंध बनाने को अपराध नहीं मानता है। रूढ़िवादी परम्पराओं-प्रथाओं के नाम से बेमेल विवाह और ‘आनर किलिंग’ जैसी समस्याओं को रोकने के लिए यह आवश्यक है और उचित भी है। कानूनी संरक्षण और न्यायालय के निर्णय पर किसी तरह की टीका किए बिना सामाजिक और नैतिक रूप से इस पर विचार किया जाना अपेक्षित है।
आज पाश्चात्य मानसिकता के प्रभाव में आकर जहां देखो,तहां लड़के-लड़कियाँ भाग कर शादी कर रहे हैं,और इस नादानी हरकत को अपनी बहादुरी समझते हैं। यहां एक बात गौर करने की है कि,जब घर,परिवार या समाज के सामने अपने प्यार का इजहार करने या उनका सामना करने की हिम्मत नहीं है तो क्या यह प्यार वास्तविक हो सकता है ?
माता-पिता अपनी पूरी ज़िंदगी अपनी संतान के लिए जीते-मरते हैं,यथासंभव संतान की हर जरूरत पूरी करते हैं। उन्हें अच्छे संस्कार देने की पूरी कोशिश करते हैं,क्या इसीलिए कि उनकी संतान बड़े होकर धोखा देकर भाग जाए! ये प्यार नहीं,एक हवस और बीमार मानसिकता है,जिससे दो परिवारों की इज्जत धूल-धूसरित हो जाती है। शारीरिक आकर्षण को प्रेम का नाम कुछ सिरफिरे लोग ही देते हैं,जो सच्चे प्रेम का न अर्थ समझते हैं,न ही कोई भरोसा और इज्जत करते हैं।
किशोर अवस्था में शारीरिक आकर्षण एक स्वाभाविक बात है,लेकिन यहां एक बात सोचनी-समझनी चाहिए कि क्या माँ-बाप से ज्यादा प्यार कोई दे सकता हैं ? माँ-बाप अपने से पहले संतान की ख़्वाहिशों को पूरा करते हैं,और बदले में मांगते ही क्या हैं ? माँ-बाप हमेशा यही चाहते हैं कि,उनकी संतान उनका नाम रोशन करें। क्या माँ-बाप का सर ऊँचा करने की जगह समाज के सामने शर्मसार करना उचित है! घर-परिवार,समाज से भागना बहादुरी नहीं,बुजदिली है।
क्या माँ-बाप से जरूरी कल के संपर्क में आने वाले लोग हो सकते हैं ? कोई भी कदम उठाने के पहले इस पर विचार करना जरूरी है कि,हम तो किसी तरह अपनी जिंदगी गुजार लेंगे,लेकिन हमारे कारण हमारे माँ-बाप की समाज में क्या स्थिति रहेगी ?
प्यार करना है तो हिम्मत रखो,भागना डरपोकों का काम है। माँ-बाप को समझो और समझाओ। कुछ अपवादों को छोड़कर अधिकांश माता-पिता अपनी संतान की खुशी की खातिर समझौता कर ही लेते हैं,किन्तु अपवाद स्वरूप कुछ माँ-बाप न मानें तो तुम क्या अपनी एक खुशी उनको नहीं दे सकते,जो पूरी ज़िंदगी तुम्हारे लिए जीते हैं।
प्यार करना गुनाह नहीं है,लेकिन महज शारीरिक आकर्षण में पड़ घर से भाग कर विवाह करना भले ही कानून की नजर में सही हो,परंतु सामाजिक रूप से इसको कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता।

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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