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जनक का करो सम्मान

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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श्राद्ध में जो कौवा,
मन भर खाता है खीर…
जिंदा वृद्ध माँ-बाप,
की नहीं दिखती पीरl
माँ-बाप की मृत्यु,
पर भले ना जलाओ दीपक…
पर जिंदा माँ-बाप,
को मत कहो दीमकl
दर्द होता है जब तुम्हारे,
जनक मीठे़ बोल को तरसते हैं…
जननी और जनक पर,
तेरे घृणा भरे बोल बरसते हैंl
हमारी संस्कृति के हर पक्ष,
का हृदय से करती हूँ मान…
क्या वृद्ध के आँसू से,
बढ़ता है हमारा मानl
जो माली हर फूल को,
सूखे में सुलाता है…
वहीं फूल बागबां को,
खून के आँसू रुलाता हैl
तुम्हारे जनक का बिगड़ा,
जो आज वर्तमान है…
भविष्य में बिगड़ेगा,
तुम्हारा भी स्वाभिमानl
श्राद्ध में कौए को,
भले नहीं खिलाओ खीर…
बस अपने जनक की,
हमेशा समझो पीरll

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैL आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैL आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैL आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैL आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैL अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंL आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंL

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