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कालजयी,वो युगपुरुष

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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कालजयी,वो युगपुरुष,भारत माँ की शान।
अटलबिहारी जी हुए,सचमुच गुण की खान॥

जनसेवक थे जो प्रखर,लिए दिव्यता ख़ूब।
राजनीति के यज्ञ की,थे जो पावन दूब॥

जिनने संपादित किए,अनगिन चोखे काम।
मानदंड रचकर प्रखर,रचे नए आयाम॥

मूल्ययुक्त थीं नीतियाँ,राजनीति परिशुद्ध।
रहे अटलजी बन सदा,महावीर औ’ बुद्ध॥

सेवा और साहित्य के,थे जो ऊँचा नाम।
पद जिनको था हर घड़ी,केवल सेवाधाम॥

कोई भी ना शत्रु था,हर कोई था मित्र।
जीवन महका देशहित,बनकर नेहिल इत्र॥

दूरदर्शिता भाव से,किया देश-उत्थान।
अंतर में अध्यात्म था,भारत का जयगान॥

लेकर के सिद्धांत नव,लाये नवल विहान।
अटलबिहारी जी अटल,सचमुच बने महान॥

दुश्मन को जब मात दी,गूँजा जय-जयगान।
जननायक,सिरमौर तुम,थे गरिमा का मान॥

जब तक सूरज-चाँद है,अटल रहें आबाद।
यही कह रहा है वतन,रहो सदा ज़िन्दाबाद॥

दिया सुशासन दोस्तों,जो सच्चा उपहार।
दिव्य रूप में थे अटल,हम करते जयकार॥

‘अटल’ अटल थे,ना टले,कैसा भी हो काल।
करगिल के हालात हों,या आए भूचाल॥

थे विनम्र,कमज़ोर ना,थे जो वज्र समान।
कभी नहीं झुकने दिया,भारत का सम्मान॥

रखें विरासत हम युगों,यूँ ही सदा सँभाल।
वचन दे रहे हम तुम्हें,हे लालों के लाल॥

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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