प्रियंका सौरभ
हिसार(हरियाणा)
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वक्त पड़े तो फूल हम,दिखते समझदार,
कह दी सच्ची बात तो,सौरभ तुम बेकारl
बस अपनी ही हांकता,करता लम्बी बात,
सौरभ ऐसा आदमी,देता सबको घातl
जिसने सच को त्यागकर,पाला झूठ हराम,
वो रिश्तों की फसल को,कर बैठा नीलाम।
दुश्मन की चालें चले,रहकर तेरे साथ,
सौरभ तेरी हार में,होता उनका हाथ।
मन में कांटे है भरे,होंठों पर मुस्कान,
दोहरे सत्य जी रहे,ये कैसे इंसान।
सौरभ मन गाता रहा,जिनके पावन गीत,
अंत वही निकले सभी,वो दुश्मन के मीत।
वक्त कराए है सदा,सब रिश्तों का बोध,
पर्दा उठता झूठ का,होता सच पर शोधll