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साहित्यकार लगवाएंगे पीपल,सहयोग से प्रकाशित होंगी किताबें

मासिक गोष्ठी….

वाराणसी(उप्र)।

उद्गार साहित्यिक,सांस्कृतिक एवं सामाजिक संगठन द्वारा ५२ वीं मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। स्याही प्रकाशन परिसर भोजूबीर वाराणसी में हुई उक्त गोष्ठी में इस बार भी काशी के साथ ही साथ अन्य जनपदों के अनेक साहित्यकार व कवि शामिल हुए।
कोषाध्यक्ष हर्ष वर्द्धन ममगाई ने बताया कि,
राजकीय पुस्तकालय के पुस्तकालयाध्यक्ष एवं डूडा के उपायुक्त कंचन सिंह परिहार,जिला प्रशिक्षण अधिकारी दीनानाथ द्विवेदी रंग,उद्गार संस्था के संस्थापक छतिश द्विवेदी कुंठित के साथ अनेक साहित्यकार इसमें मौजूद रहे। तालाबंदी के बाद शुरु किए इस कार्यक्रम में संस्था द्वारा १ करोड़ पीपल के वृक्ष लगवाने की योजना को पुनः शुरु करने की बात तय की गई। मार्च महीने से यह काम शुरु कर दिया जाएगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महेन्द्र तिवारी अलंकार ने की। संचालन बुजुर्ग कवि योगेंद्र नारायण चतुर्वेदी वियोगी ने किया। कार्यक्रम में डॉ.लियाकत अली, श्रीमती शिब्बी ममगाई,प्रो. शरद श्रीवास्तव, प्रसन्नबदन चतुर्वेदी,संतोष कुमार श्रीवास्तव प्रीत, सिद्धनाथ शर्मा,श्रीमती नीलिमा श्रीवास्तव,खुशबू पटेल आदि कवि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के बाद में संदर्भ वक्तव्य व कविता पाठ में छतिश द्विवेदी ‘कुंठित‘ ने प्रेम व सम्मान के बारे में कहा कि,सम्मान प्रेम के उन्नयन की तीसरी अवस्था है,पहले प्रेम होता है,फिर आदर भाव आता है फिर सम्मान का उदय होता है,सम्मान प्रेम की विकसित अवस्था है। उन्होंने मुक्तक -विश्व मेरे खाब के अनुसार हो जाए अगर,खून में कुछ स्नेह का संचार हो जाए अगर,स्वर्ग से भी खूबसूरत यह जमीं हो जाएगी,आदमी को आदमी से प्यार हो जाए अगर’ सुनाया तो दीनानाथ द्विवेदी रंग ने घनाक्षरी सुनाकर सभी को मोह लिया।

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