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कान्हा तुम्हारा इंतज़ार है

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….

कान्हा तुम चले आओ,तुम्हारा इंतज़ार है,
तुम्हारे लिए बेचैन ये मस्तानी बयार है।
कितना इंतजार किया है बहती नदियों ने,
कितना पुकारा है तुम्हें यहां की सदियों ने।
तुम विनती स्वीकार करो मेरे हे गोविन्द,
तुम्हारे दर्शन को तरस रहे हैं ये अरविंद।
ये धरती बनी राधिका लगाती गुहार है,
कान्हा तुम चले आओ,तुम्हारा इंतज़ार है॥

अब यहां आकर मानवता को बचाओ तुम,
लेकर नया अवतार धर्म के गीत गाओ तुम।
तुम्हारी प्रेम वाणी से नये-नये हैं गीत बने,
अब आओ तुम,धरती फिर से पुनीत बने।
बृज की गोपियों के तुम प्यारे से कान्हा,
राधा के तुम नटखट सांवरे से कान्हा।
तेरी वंशी में भरा प्रेम का सागर अपार है,
कान्हा तुम चले आओ,तुम्हारा इंतज़ार है॥

बना दो तुम आकर मानवता के नये नीड़,
कर दो बुराई की बदलियां तुम सब क्षीण।
संसार में उदित कर दो तुम नवीन सविता,
मन तृप्त हो जाए,बहाओ ऐसी तुम सरिता।
देख बहारें खिल जाए हरी-भरी उपवन की,
अब कर दे इच्छा पूरी गोविंद तू मेरे मन की।
दे दो गिरधारी तुम हमें मांगें यही उपहार है,
कान्हा तुम चले आओ,तुम्हारा इंतज़ार है।
कान्हा तुम चले आओ तुम्हारा इंतज़ार है॥

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

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