संजय गुप्ता ‘देवेश’
उदयपुर(राजस्थान)
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हमारे आदर्शजनों से गौरवान्वित था भारत वर्ष
पर आजकल के इस दौर में,बुरा हुआ है हश्र,
बुरा हुआ है हश्र,आदर्श नहीं ढूंढते अब ये नैन
हमने जिनको आदर्श कहा,लोग कहते ‘फैन।’
आधुनिक इस युग में की हुई आदर्शों की तिलाज॔ली,
कह संजय देवेश,अब रक्षा करें बजरंगबली॥
पिताजी अब डैड हुए,माताजी हुईं हैं माॅम
बहन डी,भाई ब्रो हुए,वाह ये नयी कौम,
वाह ये नयी कौम,अलग हुए आदर्श के मायने
आदर्शों की कोई बात करे तो,देते हैं ताने।
नेता,अभिनेता,खिलाड़ी ही,अब होते आदर्श,
कह संजय देवेश,जो पकड़े हैं जनता की नस॥
समाज गौण हुआ,’लिव इन रिलेशन’ का साथ
शादी के अगले दिन ही,करें तलाक की बात,
करें तलाक की बात,कैसी है ये आधुनिकता
अब जमाने में आदर्श,कौड़ी भाव है बिकता।
सत्य,मूल,न्याय,धर्म गया,गयी ईमानदारी,
कह संजय देवेश,मानवता रोए है बेचारी॥
राम,कृष्ण,रहीम से,गांधी तक का इतिहास
इन आदर्शजनों की,लगती बड़ी पुरानी बात,
लगती पुरानी बात,नये आदर्शों का है जमाना
जो साध ले उल्लू अपना,उसे ही आदर्श माना।
खुद का पता नहीं,कैसे आदर्श की हो खोज,
कह संजय देवेश,समझ ना आए नयी सोच॥
दिन-रात मीडिया में,जो दिखाई देता है खूब
चाहे जैसा भी हो,उस जैसा होने की भूख,
उस जैसा होने की भूख में,खो रहे स्व विवेक
अपने आदर्श बना रहे,इसको-उसको देख।
दवा-दारू चाहते हैं,करके अपना बेड़ा गर्क,
कह ‘संजय देवेश’,समझ भी तो आए मर्ज॥
परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।