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प्रेम…

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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प्रेम हमें परिभाषित करता था,
यह जानती हूँ मैं,क्योंकि हम दोनों पूर्ण हैं
जिसमें अपूर्णता के लिए कोई स्थान रिक्त नहीं था,
हम दोनों के मध्य बस एक दृष्टि थी
जिससे हम दोनों पढ़ लेते थे एक-दूसरे के अंतर्मन को,
पर कितने अरसों से,चुपके से गुजर रहे वो खामोश लम्हें,
जिन्हें हम अक्सर जीना चाहते थे।
कहते हैं खामोशियाँ बेवजह नहीं होती,
कुछ गहरे घाव हैं,जो आवाज छीन लिया करते हैं
कई दफा मुझे लगता है कि मैं एक झूठ जी रही हूँ,
क्योंकि,खुद से सच्ची होना चाह रही थी,पर कहते हैं न-
कथा नहीं थे तुम...जो खत्म हो जाते, एक अंतहीन इंतज़ार हो तुम मेरा!,
जिसे मैं कई सदियों से करती आ रही हूँ।
कुछ रिश्ते…
बहुत रूहानी होते हैं,
जिन्हें जताना नहीं पड़ता,वो अनुभूत किए जाते हैं
ऐसे ही कुछ अनगिनत रिश्तों में गुथी हुई-सी मैं तुममें,
पर न जाने क्यों ? तुम्हें यह रास न आया…
न बांध सकी तुम्हें,अपने इस झीने आँचल से…l
तुम्हारी रणनीति को यह भावुक मन,
समझ न पाया,एक दिन कृष्ण ने भी
अपनी राधिका को इसी तरह मोहपाश में बाँधा होगा,
और फिर अपनी रणनीति का वास्ता देकर
एक दीर्घ इन्तजार में पाषाण हुई राधिका,
आज तक साथ तो है,पर कुछ कह न पाई।
अनकहा बहुत तकलीफ देता है,
उसका अंतर्द्वंद् किसने जानाl
सिर्फ साथ खड़े रहना एक मूर्ति की तरह,
हृदय को सुकून कहाँ देता है ?
नहीं बदल सकी मैं अपने प्रेम की परिभाषा को…ll

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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