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ममता का तोल

मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)

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कमली हा‌ंफती हुई सीना के पीछे पीछे दौड़ रही थी-‘सीना बिटिया! रुक जाओ सीना बिटियाl’
लेकिन जब तक वह सीना तक पहुंच पाती,तब तक कमली की आशंका फलीभूत हो चुकी थी और मिताली का तमतमाया स्वर उभरा -‘कमली! तू करती क्या है,एक बच्ची भी नहीं संभाली जाती तुझसेl देख इसने मेरी सफेद जींस हाथों से पकड़ कर पूरी गंदी कर दीl तुझसे काम नहीं होता तो छोड़ और अपना रास्ता नाप,मैं दूसरी रख लूंगीl’
इस पर कमली ने आज हिम्मत कर कातर शब्दों में कह ही दिया-
‘माफ करिएगा मैडम जी! सीना बिटिया ने आपकी जींस गंदी कर दी, आप इसे गोद में उठा लेती तो टी-शर्ट गंदा हो जाता और दोनों धुल कर साफ भी हो जाते,लेकिन एक बार माँ की ममता बच्चे के हृदय से साफ हो जाए,तो वह फिर लौट कर नहीं आएगी और आप सारी उम्र पछताएंगीl कितना फर्क है आपमें और मुझमें,आपके करीब आने के लिए आपकी बच्ची तरसती है और मैं अपनी बच्ची के पास जल्द से जल्द पहुंचने की कोशिश करती हूँl’

परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।

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