डॉ.सत्यवान सौरभ
हिसार (हरियाणा)
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दुनिया मतलब की हुई,
रहा नहीं संकोच,
हो कैसे बस फायदा-
यही लगी है सोच।
मतलब हो तो प्यार से,
पूछ रहे वो हाल,
लेकिन बातें काम की-
झट से जाते टाल।
रिश्तों के सच जानकर,
सब संशय है शांत,
खुद से खुद की बात से-
मिला आज एकांत।
झूठे रिश्ते वो सभी,
है झूठी सौगंध,
तेरे आँसू देख जो-
कर ले आँखें बंद।
बस छोटी-सी बात पर,
उनका दिखा चरित्र।
रिश्ते-नाते तोड़ कर,
हुए शत्रु के मित्र॥