तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान)
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देश की सीमा पर जो तैनात है सैनिक,
देश का मज़हब,और ये जात है सैनिक।
धड़कता है दिल सदा वतन के नाम पर,
सुरों की सरगम,सुरीले नग़मात है सैनिक।
जज़्बा दिल में जिंदा है,वतन-ए-हिफ़ाजत,
बुलन्द हौंसलें,पावन जज़्बात है सैनिक।
हमारी हर खुशी,और सलामती के ख़ातिर,
लुटाते खुशियां अपनी,दिन-रात है सैनिक।
कर देंगे नाकामयाब,दुश्मनों की हर चाल को,
विकट स्थिति में भी,सुखद हालात है सैनिक।
सर्दी,गर्मी हो या बारिश,खड़े हैं वो अडिग,
कोई चमत्कार है या,कोई करामात है सैनिक।
शहीदों की शहादत को,करती है नमन ‘प्रीत’,
जो कभी ना भुला पाएंगे,वो बात है सैनिक॥
परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।