कुल पृष्ठ दर्शन : 220

बासन्ती रुत

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
*************************************************
बासन्ती रुत आयी,
सखी री!
बासन्ती रुत आयी।

लहर-लहर चुनरी लहराई
साजन सूरत जो हृदय बसाई,
मनमोहक छटा मन भायीl
सखी री!
बासन्ती रुत आयी।

पीली-पीली सरसों फूले
मन मितवा संग झूला झूले,
प्रीत ने ली अंगड़ाईl
सखी री!
बासन्ती रुत आयी।

फूल खिले हैं डाली-डाली
चाल चली गोरी मतवाली,
हृदय हूक उठायीl
सखी री!
बासन्ती रुत आयी।

साँझ पड़े दीपक जल जाए
सजनी बैठी आस लगाए,
कोई ख़बर न आयीl
सखी री!
बासन्ती रुत आयी।

हँसता जौबन बिखरी कलियाँ
पिया बिन सूनी-सूनी गलियाँ,
विरह अग्न जलायीl
सखी री!
बासन्ती रुत आयीll

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

Leave a Reply