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`नेताजी` सुभाष चंद्र बोस-जीवन और प्रभाव

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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#साहित्य के आलोक में नेताजी-`नेताजी` सुभाष चन्द्र बोस का जन्म १८९७ में कटक में जानकी नाथ बोस की १४ सन्तानों में नवी संतान के रूप में हुआ,जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था! नेताजी संभ्रांत बंगाली विरासत वाले बंगाली समाज के कायस्थ परिवार में जानकी नाथ बोस और माँ प्रभावती दत्त की संतान थे,जो भारतीय-भारतीयता के परिपेक्ष्य में सम्पन्न बंगाल संस्कृति संस्कार की धन्य धरोहरों से संस्कारित था और धार्मिक-सामाजिक रूप से भारत अविभाज्य सनातन की निरंतर प्रभा प्रवाह का परिवार था! नेताजी स्वामी राम कृष्ण परमहंस की आभा से प्रभावित थे,जिसके कारण सुभाष का वात्सल्य भारतीय धार्मिक विश्वास की अवधारणा की विरासत के मजबूत आधार पर हुआl इसके कारण सुभाष ने बचपन से ही आत्म और आत्मा की वास्तविकता से परिचित दृढ़ मजबूत इरादों का युवा ओज व्यक्ति व्यक्तित्व बनकर भारत को चमत्कृत कियाl ऐसी मान्यता है कि नेताजी की बाल्यकाल में बंगाल की आत्मा अतिष्ठात्री माँ काली ने स्वयं अपने आशीर्वाद से भारत को उसके तत्कालीन भविष्य से परिचित करवाया था,जो आज की पीढ़ी-युग के लिये प्रेरणास्रोत हैl साहित्य के लिए नेताजी का जन्म जीवन भरतीय साहित्य दर्शन में आकर्षण और आकर्षक विषय वस्तु है,जो साहित्य की वास्तविक अवधारणा के अंतर्गत सहित्य और साहित्यकारों को एक युग दृष्टि-दृष्ट्या के दृष्टिकोण का दर्पण देता है,जो भारतीय समाज एवं भारतीयों के लिये प्रेरक प्रेरणा का मार्गदर्शन देता है,अतः नेताजी का साहित्य-जीवन दर्शन ख़ास कर युवाओं के लिये साहित्य का आलोकित आलोक हैl यह नेताजी का आज के परिपेक्ष्य का सत्य सत्यार्थ हैl
#कवियों के काव्य में नेताजी-साहित्य साधकों,कवियों,लेखकों के लिए नेताजी एक नायक और महानायक की भूमिका के पात्र हैंl भारत ही नहीं,बल्कि अन्य राष्ट्रों के साहित्य-साहित्यकारों के लिए आदर्श चरित्र हैंl भारतीय लोक सेवा जैसे प्रतिष्ठापरक पद का त्याग और राष्ट्र की अस्मिता के लिए संघर्ष का रास्ता चुनना,साथ ही महात्मा गांधी से सहमत न होते हुए भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने जाने के बावजूद गांधी जी के सम्मान में पद त्याग करना नेताजी के तेजस्वी व्यक्तित्व में निहित विराटता कवि की कविताओं को लेखकों की चिन्तनशील विचारों को ओज धार बना प्रासंगिक और प्रेरक बनाता हैl अतः नेताजी निर्विवाद रूप से कवि के काव्य लेखकों की चिंतनशीलता के प्रेरक प्रसंग के निर्विवाद महानायक हैं,जो सहित्य को नई दिशा प्रदान करने में प्रमाणित सत्य हैंl
#नाटकों में नेताजी-भारतीय वर्तमान के परिपेक्ष्य मे नेताजी का व्यक्तित्व एक ऐसा पात्र है,जो हर भारतीय की भाव भावनाओं की संवेदना को प्रभावित करता अपना प्रभाव रखता हैl जब सामाजिक माध्यमों का दौर नहीं था और संचार संवाद के सीमित संसाधन थे,तब ग्राम-स्थानीय स्तर पर नाटकों का प्रचलन था,जो भारत की महान संवृद्धि सांस्कृतिक ऐतिहसिक विरासतों को जन-जन तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम थाl उस दौर में भी नेताजी के जीवन पर नाटकों का मंचन सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करता और समाज में नव जागृत उत्साह ऊर्जा देशभक्ति का संचार और संवर्धन करता थाl जब भारत में नाट्य मंचों और नाट्य थिएटर का विकास हुआ,तथा नाटकों का मंचन होना प्रारंभ हुआ,तब भी नेताजी के जीवन संघर्ष उनके जीवन दर्शन पर नाटकों का मंचन सर्व स्वीकार ग्राही और अनुकरणीय प्रेरक हुआl आज भी नुक्कड़ नाटकों में नेताजी के जीवन दर्शन पर नाटकों का मंचन समाज को खास संदेश के लिये प्रेरित कर परिणाम परक स्वीकारता और प्रेरक परिवर्तन के लिए किया जाता हैl
#फिल्मों में नेताजी-विश्व में ज्यों संचार माध्यमों का विकास हुआ,विश्व के सभी राष्ट्रों ने अपनी संवृद्धि सांस्कृतिक विरासत धरोहरों इतिहास-इतिहास पुरुषों को अपनी जनता से परिचित कराने करने के लिये सार्थक प्रयास कियाl भारत में नेताजी के अभ्युदय और उनके जीवनकाल में ही संचार माध्यमों में क्रांतिकारी शुरूआत हो चुकी थीl नेताजी ने स्वयं आज़ाद हिंद रेडियो की स्थापना की थी,सिनेमा का भी विस्तार हो रहा थाl नेताजी की जीवनी पर आधारित अनेक चलचित्रों का निर्माण हुआl जब नेताजी आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे,उनके जीवन को उनके द्वारा इन माध्यम का महत्व भविष्य के परिपेक्ष्य में परिभाषित कियाl वास्तव में नेताजी की नीति-नियति नेतृत्व आजादी में उनकी सहभागिता की वास्तविक समझ का माध्यम सिनेमा हैl नेताजी स्वयं एक बहुत अच्छे चिंतक-विचारक-लेखक थे,साथ ही अच्छे अभिनय के अभिनेता का आत्म सत्य था,पस्तु भाषा न आने के कारण गूंगा-बहरा बन निकल जाना हिन्दू और हिंदुत्व की आस्था का व्यक्तित्व होने के बावजूद पठान वेशभूषा में विल्कुल पठान दिखना,नेताजी के व्यक्तित्व में जीवन्त कलाकार का ऐतिहसिक व्यक्तित्व को संदर्भित करता निरूपित करता सशक्त माध्यम सिनेमा को परिष्कृत परिमार्जित पुरुषार्थ पराक्रम का नायक प्रदान करता है,जो अपने जीवन शैली और प्रत्येक पग से एक नई संभावना को जन्म देता विजयी भाव का नायक राष्ट्र के हर युवा में संचारित करता हैl निःसंदेह नेताजी सिनेमा के साहसी सशक्त प्रेरणा के हस्ताक्षर हैंl
#लोकगीतों में नेताजी-लोक गायकों के कथानकों के मुख्य चरित्र पात्र नेताजी हैंl आज देश के विभिन्न कोनों-क्षेत्रों में माताएं,दादी-नानी नेता जी के जीवन पर आधारित कहानियों को क्षेत्रीय परम्परा की चासनी मिलाकर सुनाती हैंl इस विश्वास-आस्था के साथ कि उनका भी बालक अपने जीवन में नेताजी के कृतित्व-व्यक्तित्व को आत्मसात कर उनके माता-पिता होने को गर्व मान देगाl विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में नेताजी के जीवन को कथानक का मुख्य पात्र बना कर गाये जाते हैं,जो लोकप्रियता के शिखर पर तो होते ही हैं,साथ ही तमाम विविधताओं को समेटे समाज को नेताजी के व्यक्तित्व का व्यवहारिक संचार कर समाज में पीढ़ियों में जागरूकता जागृति जागरण का सार्थक वैचारिक क्रान्ति की मशाल रोशन करते हैं,जो राष्ट्र को सही दिशा प्रदान करने में सहायक हैl नेताजी निर्विवाद रूप से लोक गीतों के कथानक पात्र हैंl
#नेताजी का युवाओं पर प्रभाव-भारत की दो महान ऐतिहासिक धन्य धरोहर में रामकृष्ण परमहंस के लिये भारत के सनातन धर्म दर्शन को पाश्चात्य की गौरवशाली धरती शिकागो में पूरे विश्व जनमानस को भारत की आजादी के सांस्कृतिक संस्कारिक विरासतों से परिचय करवायाl तत्कालीन युवाओं में आत्म सम्मान का आवाहन किया,तो नेताजी ने अपने विलक्षण कार्य शैली-प्रतिभा की कार्यशैली से युवाओं में आत्म सम्मान की जागृति का शंखनाद कियाl अध्ययन में गुलाम राष्ट्र के युवा होने और अति सीमित संसाधनों के बावजूद १९१९ में इंग्लैंड के विलियम कॉलेज से स्नातक कर भरतीय सिविल सेवा में पहले उच्च चौथे स्थान के साथ भारतीय युवाओं में व्याप्त गुलामी की निराशा के समक्ष चुनौतियों के समक्ष स्वयं के उद्देश्य के लिये ऊर्जा का संचार कियाl पुनः प्रतिष्ठा परक स्थान से त्याग-पत्र देकर देश की आज़ादी के लिये संघर्ष में उतरना युवा ओज के आत्मविश्वास की पराकाष्ठा पराक्रम युवा शक्ति के समक्ष प्रतिस्पर्धी संघर्ष शील व्यक्तित्व की प्रेरक पृष्ठभूमि देता हैl १९२३ में भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और बंगाल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मात्र २६ वर्ष की उम्र में ही दोहरी गुरूतर जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाह तत्कालीन युवाओं में नेताजी का नेतृत्व उनको युवा का महानायक स्थापित करता हैl जीवन के युवा काल में ही १९२५ में जेल जाना,गम्भीर बीमारी से पीड़ित होना जो उस समय लाइलाज़ थी,इन विषम परिस्थितियों में भी न भटकना फौलादी इरादों के महानायक के तौर पर नेताजी को युवाओं के दिलों में स्थापित करता हैl पुनः मात्र ३३ वर्ष की उम्र में कलकत्ता का महापौर चुना जाना नेतृत्व की विराटता को नेताजी के व्यक्तित्व की व्यवहारिक विशिष्टता युवाओं में राष्ट्रीय सामाजिक प्रक्रियाओं में युवाओं की भूमिका का सत्यार्थ प्रकाश है,जो युवाओं की शक्ति का आवाहन कर उनकी सार्थकता का बोध कराती हैl निश्चित तौर पर नेताजी युवाओं के आदर्श है औऱ रहेंगेंl
#राजनीति औऱ नेताजी-नेताजी के राजनीतिक मार्गदर्शक चितरंजन दास गांधी जी थे,जो तीन गांधी चितरंजन दास गांधी, महात्मा गांधी,सीमांत गांधी में से एक थेl राजनीतिक रूप से नेता जी के विचार समाजवाद और साम्यवाद की राष्ट्रीय अवधारणा के बुनियादी चिंतन के आधार पर थेl नेताजी ने बुनियादी स्तर से पत्रकारिता और राजनीतिक अभियान साथ-साथ आरम्भ किए थेl उनके द्वारा विदेशों में दौरा कर विदेशों में अध्ययनरत और विदेशी छात्रों से विभिन्न और राजनीतिक विषय पर एक बहस के बाद उनके विचार व्यक्तिव में राजनीतिक जीवन और उद्देश्य के सिद्धांत स्पष्ट थेl तत्कालीन भारतीय राजनीति और स्वन्त्रता आंदोलन में उन्हें युवा गर्म दल का नेतृत्व माना जाता था,जिसके कारण उनके मतभेद भी थेl इनका स्पष्ट राजनीतिक मत था कि आजादी किसी कीमत और रास्ते को अख्तियार कर प्राप्त की जानी चाहिए, इसीलिए प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश हुकूमत के लिए भारतीय सेना के लड़ने का विरोध किया थाl विरोध मतभेद के बावजूद उन्होंने अपने विचारों को स्वीकार करने के लिए कोई राजनीतिक रास्ता नहीं अपनाया, बल्कि अपने सिद्धांतों को प्रतिपादित करने के लिये स्वयं निकल पड़ेl यदि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पराजित नहीं हुआ होता तो शायद आज नेताजी जी का क्रांतिकारी विचारधारा गाँधी जी के अहिंसा सिद्धांत की तरह राजनीतिक प्रत्यक्ष सिद्धान्त होताl जहां अहिंसा का अवमूल्यन हो जाता है,वहाँ नेताजी के नेतृत्व का सिद्धांत ही सार्थकता हैl राजनीतिक विरोध मतभेद को नेताजी ने कभी राष्ट्र समाज के आड़े नहीं आने दिया,ना ही समझौता कियाl नेताजी के राजनीतिक सिद्धान्त सदैव छोटी शक्ति के समक्ष बड़ी शक्ति के संगठनात्मक सिद्धान्त को अंगीकार किया,जो आज भी प्रासंगिक हैl
#नारी और नेताजी-नेताजी का जन्म संभ्रांत बँगाली समाज में जहाँ नारी शक्ति की उपासना के साथ-साथ धर्म समाज राष्ट्र में नारी शक्ति को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हैl युग में आधी हिस्सेदारी रखने वाली नारी शक्ति के लिए नेताजी सैद्धान्तिक-प्रायोगिक रूप से संकल्पित थेl पूरे विश्व मे पहली बार उन्होंने जब आजाद हिंद फौज की कमान संभालीl उन्होंने महिला ब्रिगेड की स्थापना की, जिसकी कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन थीl इसके साथ ही अपने वेतनमान में ही महिलाओं के शक्तिशाली विकास की अवधारणा का सफलतापूर्वक प्रयोग कर भविष्य को महिलाओं की महत्ता महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित कियाl
#विदेशी योद्धाओं पर नेताजी का प्रभाव-नेताजी के बहुआयामी व्यक्तित्व के प्रभाव से कोई अछूता रहा जाए,सम्भव नहीं थाl नेताजी का आकर्षक व्यक्तित्व,ओजस्वी वक्ता,सार्थक पहल और सकारात्मक दृष्टिकोण उनके व्यक्तित्व की खासियत थीl जो भी उनके सम्पर्क में एक बार आ जाता, उनका ही होकर रह जाताl तत्कालीन जर्मन शासक अडोल्फ हिटलर जो एक अच्छा सिपाही,जाबांज योद्धा और कुशल नीति-निपुण सेनापति था,एवं तत्कालीन विश्व का सशक्त मजबूत शक्तिशाली नेता नेतृत्व था, नेताजी का कायल थाl वह नेताजी के नेतृत्व क्षमता और उनकी विशेष विशिष्टता के कारण ही नेताजी को जर्मनी में विशेष स्थान दे रखा था और नेताजी को उनके उद्देश्य में सहयोग भी प्रदान करताl उस समय नेताजी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में हिटलर की महत्वपूर्ण भूमिका थीl
#देश की आजादी में नेताजी का योगदान-भारत की आज़ादी के प्रथम संग्राम १८५७ की बिखरे नेतृत्व क्रान्ति की असफलता के बाद राष्ट्र के विभिन्न छोटे-छोटे राज्यो जातियों-धर्मों-सम्प्रदाय में बंटे भारत में एक समझ अवश्य आ गयी थी कि बिना सांगठनिक ढाँचे के बहुआयामी बहुरंगी भारत को स्वन्त्रता के लिये संगठित नहीं किया जा सकता है,जिसके चलते १८८५ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना ने भारतवासियों को अपनी स्वतंत्रता आंदोलन के लिये संगठन प्रदान कियाl अंतत: ९० वर्षों के अनवरत संघर्ष के उपरांत १९४७ में आजादी मिलीl इन ९० वर्षों में भारतवासियों ने संगठित नेतृत्व के अंतर्गत तीन स्तरों पर अनेक त्याग बलिदान के साथ कांग्रेस के बैनर के नीचे अपने आजादी की लड़ाई लड़ीl महात्मा गाँधी के नेतृत्व में अहिंसा आंदोलन सत्याग्रह के माध्यम से विदेशी वस्तु का बहिष्कार,वस्त्रों की होली,नमक सत्याग्रह आदि द्वारा विदेशी हुकूमत की अर्थव्यवस्था पर प्रहार के साथ ही आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन और नेता जी द्वारा विस्तार किया गयाl इसमें वे ही सैनिक थे जिन्होंने ब्रिटिश सेना में ब्रिटिश हुकूमत के लिए युद्ध किया थाl हिन्द फ़ौज में आकर ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध लड़ कर लगभग गुलाम भारत का २०० वर्ग मिल भू-भाग आज़ाद कराकर ब्रिटिश हुकूमत की सेना और सुरक्षा को चुनौती दी,जिसने ब्रिटिश हुकूमत को थर्रा दियाl नेताजी के नेतृत्व नीति कुशलता को भारतीय स्वतन्त्रता की क्रांति सदैव सलाम प्रणाम-नमन करेगी, क्योंकि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा का नाम है `नेता जीl`
#सेना और नेताजी-नेताजी की जीवन शैली प्रारंभ से ही अनुशासित थीl अनुशासन उनके लिये महत्वपूर्ण थाl नेताजी किसी स्थापित सेना के सेनापति नहीं थे,बल्कि उन सिपाहियों की सेना आज़ाद हिंद फौज के मुखिया थे,जिसके सिपाही समय के साथ हौंसला और विश्वास दोनों खो चुके थेl उनकी सेना के अधिकतर सिपाही या तो प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना के साथ लड़ने के बाद उत्साहहीन थे,या तो ब्रिटिश हुकूमत से प्रताड़ित भारतीय सेना के आत्मविश्वास खो चुके सिपाही थेl इनमें जीवन उदेश्यों और आशाओं का नव संचार कर आज़ाद हिन्द फ़ौज का नेतृत्व `तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा` के साथ कियाl नेताजी के सैन्य जीवन शैली और सेना के जनरल कमांडर के लिये यह सत्य है-
`भारत के स्वाभिमान का जाबांज़ आज़ाद मुल्क भारत का पहला मुबारक कदम शान,
खून और आज़ादी के इंसानी रिश्ते की पुकार ललकारl
नेता नियति नीति पथ प्रदर्शक कराल काल की धारा को देता नयी पहचानl
विनम्रता सौम्यता की विरासत का व्यक्तित्व महान चुनौतियों की चुनौती का युवा चेतना की हुंकार,
आज़ादी के महासंग्राम का महायोद्धा अंदाज़ पांचजन्य का शंखनादl
सत्य-अहिंसा के महात्मा के सम्मान का अंगार अस्तित्व के निर्माण का अहम् अदम्य साहस बेमिसाल,
भारत की माटी के कण-कण की सुगंध का सुवास वात्सल्य माँ भारती के आँचल का अरमान लाजl
युवा संस्कार संस्कृति आचरण की प्रेरक प्रेरणा का परिणाम,
भारतभूमि की युवा चेतना चमत्कार का शौर्य सूर्य क्षितिज पर उदय उदित उदयमानl
नौजवान आज़ाद हौंसलों की उड़ान,माँ काली का वरदहस्त वरदान,
आज़ादी का चिराग प्रज्वलित मशाल भारत की गौरव का मान,विश्व में भारत की आज़ादी की खास अंदाज़ पहचानl
जोश उमंग उत्साह ऊर्जा का परम पुरुष राष्ट्र चेतना की टंकार,
कर्म-धर्म के कृष्णा के कुरुक्षेत्र की महिमा स्वाभिमानl
मर्यादा मूल्यों का युवा शक्ति का राम,
अन्याय अत्याचार का काल परशुरामl
सुभाष नेतृत्व का सारथी युद्ध का योद्धा आज़ादी का पुरोधा काल का भाल,
अंधेरों के साम्राज्य में चीखती चीत्कार की आशा विश्वास का प्रकाश नेता सुभाषll`

परिचय–एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।

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