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नूतनता जरूरी है

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

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घनघोर तिमिर में नया विहान जरूरी है,
हर पतन पश्चात नया उत्थान जरूरी है।
संघर्षों से लड़कर ही हर समाधान मिलेगा,
विषादों के नीड़ों में नई मुस्कान जरूरी है॥

नया विकास नई सरंचना नये विचार जरूरी हैं,
नया समाज नई चेतना नया संसार जरूरी है।
नये पे नये का सिलसिला हरदम जारी रखो,
अब नया उजाला नई खुशियां अपार जरूरी है॥

नया हुनर नई पहचान नये किरदार जरूरी हैं,
समानता और न्याय के नये दरबार जरूरी हैं।
प्रकृति भी पुकार करती है हरदम नूतनता की,
सत्ता से मांगें जबाब वो नये अखबार जरूरी हैं॥

नये जमाने में बेकार रिवाजों के नाश लिखेंगे,
फिर नई नई सोच के लोग कुछ खास लिखेंगे।
तर्क,बुद्धि और चिंतन पर जो नूतनता पनपेगी,
तभी हम नये युग का नया इतिहास लिखेंगे॥

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

 

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