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अब और नहीं…

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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अब और नहीं अब और नहीं,
ये देश नहीं सह पायेगा।
हो दुष्टों काे फाँसी सरेआम जनमानस ये लटकायेगा।

अब और निर्भया काण्ड नहीं,
बेटियों को अब इंसाफ़ मिले।
जनमानस को सौंपें इनको,हो
सज़ा न इनको माफ मिले।

गद्दार दरिंदों को फाँसी,
झट दो परचम लहराएगा।
जब सजा मिलेगी ऐसी तो,
हौंसला रखा रह जायेगा।

सबसे पहले आँख निकाली जाए,
दो हाथों को काट।
करो बदन के लाखों टुकड़े,
टुकड़े दो गिद्धों में बाँट।

ऐसी सज़ा मिले हर कोई,
सोच सहम ही जाएगा।
मारो जितने भी हों उनको,
देखे अगला मर जायेगा।

दुःशासन और रावण जैसे जो,
उनको समाज से दूर करो।
शैतान जो हैं हरक़त वाले,
सुधरें उनको मज़बूर करो।

ग़द्दारों को करना तहस-नहस,
सैलाब बड़ा अब आयेगा।
अब की कोई बेटी छली गयी,
शिव तांडव फिर मच जायेगाll

परिचय–प्रदीपमणि तिवारी का लेखन में उपनाम `ध्रुव भोपाली` हैl आपका कर्मस्थल और निवास भोपाल (मध्यप्रदेश)हैl आजीविका के लिए आप भोपाल स्थित मंत्रालय में सहायक के रुप में कार्यरत हैंl लेखन में सब रस के कवि-शायर-लेखक होकर हास्य व व्यंग्य पर कलम अधिक चलाते हैंl इनकी ४ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैंl गत वर्षों में आपने अनेक अंतर्राज्यीय साहित्यिक यात्राएँ की हैं। म.प्र.व अन्य राज्य की संस्थाओं द्वारा आपको अनेक मानद सम्मान दिए जा चुके हैं। बाल साहित्यकार एवं साहित्य के क्षेत्र में चर्चित तथा आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्र भोपाल से अनुबंधित कलाकार श्री तिवारी गत १२ वर्ष से एक साहित्यिक संस्था का संचालन कर रहे हैं। आप पत्र-पत्रिका के संपादन में रत होकर प्रखर मंच संचालक भी हैं।

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