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किसी ने नहीं समझा पाप…

दीपक शर्मा

जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

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इन्द्र देवता हैं ?
नहीं!
मर गया था
उनका उसी दिन देवत्व,
जिस दिन
अवैध रूप से किया था उन्होंने
अहिल्या के घर में प्रवेश,
किया था उनके साथ दुराचार।
उनका वह कर्म,
छल,कपट व एक स्त्री की इच्छा के विरुद्ध था
किंतु वे स्वर्ग के राजा थे,
इसीलिए स्वर्ग की कामना करने वाले लोग
ऋषि,मुनि,गंधर्व,देवता,पंडित,पुरोहित,
किसी ने नहीं किया इन्द्र से सवाल…।
किसी ने नहीं की उनकी तीखी आलोचना,
किसी ने नहीं दिया उन्हें कठोर दण्ड
किसी ने नहीं समझा उनके कुकृत्यों को पाप,
उल्टे अहिल्या को ही शाप देकर
बना दिया गया उन्हें पत्थर,
जबकि वह निर्दोष थी।
ऋचाओं में गाया गया-
‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते,रमंते तत्र देवता।’
हमारे पुरोहित
यज्ञ में,पूजा में,कथा और प्रवचन में,
गाते हैं इन्द्र की महिमा का गान,
जबकि अहिल्या की पूजा उन्होंने कभी नहीं की॥

परिचय-दीपक शर्मा का स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है। आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय से वर्ष २०१८ में परास्नातक पूर्ण करने के बाद पद्मश्री पं.बलवंत राय भट्ट भावरंग स्वर्ण पदक से नवाजे गए हैं। फिलहल विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।आपकी जन्मतिथि २७ अप्रैल १९९१ है। बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) सहित एम.ए. तक शिक्षित (हिंदी)हैं। आपकी लेखन विधा कविता,लघुकथा,आलेख तथा समीक्षा भी है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक भी जुड़े हैं। दीपक शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको लेखन के लिए सम्मानित किया जा चुका है।

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