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जीवन की अनमोल धरोहर

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’
जयपुर(राजस्थान)
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‘बड़े दिन की छुट्टी’ स्पर्धा  विशेष………


बड़े दिनों की छुट्टी में हम करते बहुत धमाल,
जीवन की अनमोल धरोहर बचपन बहुत कमालl
बस खाना-पीना और खेलना,
ले देकर होते यही तीन ही कामl
एक बार जो रेल चलाते,
फिर रुकने का नहीं था कामl
खेलेंगे हम भरी शीत में,
हमको चाहे होता रहे जुकामl
फिकर नहीं होती जब होता,गले में टंगा एक रुमाल,
जीवन की अनमोल धरोहर,बचपन बहुत कमालll

चिंताओं का दौर तो हमसे,
दूर-दूर से लेता था अँगड़ाईl
मम्मी-पापा,छुटकी-भैया,
इनसे दुनिया थी नेक बनाईl
बड़े हुए तो एक रोग लग गया,
भैया अब करनी है खूब कमाईl
बचपन के वो साथी बिछड़े,पूछे दूर से ही अब हाल,
जीवन की अनमोल धरोहर,बचपन बहुत कमालll

गुल्ली-डंडा,पकड़म-धकड़म,
गुड्डे-गुड्डी,खेले लंगड़ी-टाँगl
याद बहुत आता वो स्कूल में,
बनकर मुर्गा,देना जोर से बाँगl
थक जाते जब पढ़-लिखकर,
तब मिलकर रचते सबके स्वाँगl
फूटी कौड़ी जेब में न धेला,फिर भी थे मालामाल,
जीवन की अनमोल धरोहर,बचपन बहुत कमालll

अम्मा-बाबा,ताई-ताऊ,
चाचा-चाची करते रोज धुलाईl
खा-खाकर नित नई घुड़कियाँ,
रोनी सूरत,आँख में आँसू लेते थे अँगड़ाईl
एक बार तू मुझे बख्श दे,
शैतानी अब नहीं करूँगा माईl
तू है मेरी मात् यशोदा,मैं हूँ तेरा गोकुल वाला लाल,
जीवन की अनमोल धरोहर,बचपन बहुत कमालll

परिचय-मनोज कुमार सामरिया का उपनाम `मनु` है,जिनका  जन्म १९८५ में २० नवम्बर को लिसाड़िया(सीकर) में हुआ है। जयपुर के मुरलीपुरा में आपका निवास है। आपने बी.एड. के साथ ही स्नातकोत्तर (हिन्दी साहित्य) तथा `नेट`(हिन्दी साहित्य) की भी शिक्षा ली है। करीब ८  वर्ष से हिन्दी साहित्य के शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं और मंच संचालन भी करते हैं। लगातार कविता लेखन के साथ ही सामाजिक सरोकारों से जुड़े लेख,वीर रस एंव श्रृंगार रस प्रधान रचनाओं का लेखन भी श्री सामरिया करते हैं। आपकी रचनाएं कई माध्यम में प्रकाशित होती रहती हैं। मनु  कई वेबसाइट्स पर भी लिखने में सक्रिय हैंl साझा काव्य संग्रह में-प्रतिबिंब,नए पल्लव आदि में आपकी रचनाएं हैं, तो बाल साहित्य साझा संग्रह-`घरौंदा`में भी जगह मिली हैl आप एक साझा संग्रह में सम्पादक मण्डल में सदस्य रहे हैंl पुस्तक प्रकाशन में `बिखरे अल्फ़ाज़ जीवन पृष्ठों पर` आपके नाम है। सम्मान के रुप में आपको `सर्वश्रेष्ठ रचनाकार` सहित आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ सम्मान आदि प्राप्त हो चुके हैंl  

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