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नहीं है भविष्य प्लास्टिक में

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’ 
बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़)
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देखो धुँआ कैसे उड़ रहा,
कहीं प्लास्टिक तो नहीं जल रहा।
वायु मण्डल प्रदूषित हो रहा,
मानव ही बीमारी से ग्रसित हो रहा।

बाजार में देखो प्लास्टिक,
दुकान में देखो प्लास्टिक।
हर जगह बिखरा प्लास्टिक,
असली दुश्मन है प्लास्टिक।

प्रदूषण प्रतिदिन विकराल होता रहा,
कैंसर जैसे रोग और बढ़ा रहा।
मनुष्य हो या पशु सब शिकार हो रहे,
धीरे-धीरे पर्यावरण भी बिगड़ रहा।

नहीं है भविष्य प्लास्टिक में,
मानव अब तो सुधर जाओ।
पालीथिन को बंद कर दो,
हरा-भरा जग को सुंदर बनाओ॥

परिचय–डीजेंद्र कुर्रे का निवास पीपरभौना बलौदाबाजार(छत्तीसगढ़) में है। इनका साहित्यिक उपनाम ‘कोहिनूर’ है। जन्मतारीख ५ सितम्बर १९८४ एवं जन्म स्थान भटगांव (छत्तीसगढ़) है। श्री कुर्रे की शिक्षा बीएससी (जीवविज्ञान) एवं एम.ए.(संस्कृत,समाजशास्त्र, हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। आपकी लेखन विधा कविता,गीत, कहानी,मुक्तक,ग़ज़ल आदि है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत योग,कराटे एवं कई साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। डीजेंद्र कुर्रे की रचनाएँ काव्य संग्रह एवं कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित है। विशेष उपलब्धि कोटा(राजस्थान) में द्वितीय स्थान पाना तथा युवा कलमकार की खोज मंच से भी सम्मानित होना है। इनके लेखन का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली कुरीतियां,आडंबर,गरीबी,नशा पान, अशिक्षा आदि से समाज को रूबरू कराकर जागृत करना है।

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