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भक्त प्रहलाद जैसों से पृथ्वी पावन

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)
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फागुन संग-जीवन रंग (होली) विशेष…

भारतवर्ष सुंदर और समृद्ध देश है। इसमें हिंदू, मुस्लिम,सिख,ईसाई अनेक धर्मों के लोग रहते हैं,जो विविध त्योहार भली-भांति मनाते हैं। इन त्योहारों में हिंदुओं का त्यौहार होली प्रमुख त्योहार है,जो कई वर्षों से हिंदू धर्म के माध्यम से मनाया जाता है।
कहा जाता है कि बहुत समय पहले भगवान के एक महान भक्त हुए,जिन्हें भक्त प्रहलाद के नाम से जाना जाता है। इनके पिता हिरण्यकश्यप थे,जो भगवान को नहीं मानते थे। भक्त प्रहलाद भगवान की भक्ति करते थे, जिसको देखकर पिता उनसे विरोध करते थे। इन्होंने पुत्र प्रहलाद को मरवाने की कई कोशिशें की,पर जब कामयाबी न मिली तो अपनी बहिन होलिका से भक्त प्रहलाद को मारने के लिए कहा। उसने वरदानी दुपट्टा ले उसे ओढ़ कर भक्त प्रहलाद को गोद में ले अग्नि में प्रवेश किया। भगवान की कृपा से वह दुपट्टा होलिका के तन से उड़कर प्रहलाद के शरीर से जा लिपटा। फिर उस दुपट्टे के प्रभाव से प्रहलाद की जान बच गई और होलिका जलकर राख हो गई। इस प्रकार भगवान ने अपने भक्त की रक्षा की। जब भक्त प्रहलाद होली दहन में भी बच गए,तब से आज तक हर वर्ष फाल्गुन के अंतिम दिन होली का पर्व मनाया जाता है। भक्त प्रहलाद की भक्ति की ख्याति आज भी अमर है। ऐसे महान भक्त हमारी भारत भूमि पर जन्मे हैं,जिनसे हमारी पृथ्वी पवित्र और पावन कही जाती है।

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