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महकता है हरश्रृंगार

सपना परिहार
नागदा(मध्यप्रदेश)
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उसका आँगन हरश्रृंगार
से महकता है,
उसकी सुगन्ध से
कोई और बहकता है।
भीनी-भीनी खुशबू जब
रात को महकाती है,
उसके आलिंगन में
कोई और महकता है।
जैसे हो कोई ये पुष्प
प्रेम का प्रतीक,
जिसे पाने को हर
कोई तड़पता है।
सुबह जो पेड़ पर शान से
सजा रहता है,
बिखर जाता है वो रात में
और जमीं पर महकता है।
बहुत नज़ाकत है इसमें
जरा-सी हवा से बिखर जाता है,
अपनी महक बिखेरने को
ये हरपल चहकता है।
बहुत कशिश है इसमें
सभी लोग खिंचे चले आते हैंl
जब खुल के ये हरश्रृंगार,
सबके हृदय में महकता हैll

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