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वो नाचती थी ?

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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`विश्व नृत्य दिवस` २९ अप्रैल विशेष….
जीवन की,
हकीकत से
अनजान।
अपनी लय में,
अपनी ताल में
हर बात से अनजान।
वो…नाचती थी ?

सोचती…थी ?
नाचना ही…जिंदगी है,
गीत-लय-ताल ही बंदगी है।
नाचना…ही जिंदगी है,
नहीं….शायद
नाचना ही….जिंदगी नहीं है।

इंसान हालात से नाच सकता है,
मजबूरियों की
लंबी कतार पे नाच सकता है।
लेकिन…
अपने लिए,
अपनी खुशी से नाचना।
जिंदगी में यही,
संभव-सा नहीं।

हकीकतें दिखी…
पाँव थम गए।
फिर कभी सबकी आँखों से,
ओझल हो…!!
नाचती…अपने लिए,
लेकिन जिम्मेदारियों से,
वह भी बंध गए।

फिर गीत-लय-ताल,
न जाने कहां थम गए।
पाँव रुके,
और हाथ चल दिए
शब्द नाचने लगे।
जीवन की,
हकीक़तों को मापने लगे।

उन रुके पाँवों को,
आज भी बुलाते हैंl
तुम थमे हो,
नाचना भूले तो नहीं।
वो…..नाचती थी।
कभी हकीकतों से परे,
आज…भी नाचती है
हकीकतों के तलेll

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैl ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैl आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैl पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंl सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैl आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंl समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

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