पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़)
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कभी-कभी चुप रह जाऊं,
कुछ भी नहीं बात करूं
मुझे अकेले रहने दो ना,
सब-कुछ पल में भूल जाऊं।
कभी-कभी…
बैठ कहीं अकेले में,
बचपन के मीठे सपनों में
गुड्डे-गुड़ियों के खिलौनों से,
फिर से वो दिन ले आऊं।
कभी-कभी…
पूरा महल सजाया मैंने,
उस महल में रहती हूँ
सबकी बातें मुझे सुनना,
अपना कहां सुना मैं आऊंl
कभी-कभी…
दो जहां की मैं खुशियां,
पूछा कौन-सी है दुनिया!
बातें हैं,बातों का क्या,
क्या कहूं और क्या गाऊं।
कभी-कभी…चुप रह जाऊंll
परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।