पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़)
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कुछ ना कुछ छूटता,
ही रहता है जीवन का
पर परवाह नहीं करना,
जो भी है जैसा भी भी
हर हाल में खुश रहना,
हमें जिंदादिल होना चाहिए।
जो होना है होकर रहेगा,
फिर क्यूं चिंता में रहना!
जो मन को अच्छा लगे,
जिसमें मन को शांति मिले
बस उसमें रम जाएं,
जिंदादिली अपनाएं।
सच्ची सेवा भाव करिए,
मन हमेशा साफ रखिए
कभी अनाथ बच्चों को,
अपनी नजरें इनायत करिए
फिर मन की उड़ान देखिए,
मस्त जिंदादिल रहिए
मस्त…जिंदादिल रहिए ll
परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।