इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)
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चुनौतियाँ कुछ भी हों,कर्म के आगे एक न एक दिन नतमस्तक हो ही जाती हैं। यह कर्मवीर की सहनशक्ति व सहनशीलता पर निर्भर है कि,वह अपनी सफलता प्राप्ति के लिए उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों में धैर्य का कवच कब तक ओढ़े रखते हैं ?
सत्य तो यह है कि चुनौतियों को स्वीकार करना ही सफलता की कुंजी माना जाता है और स्वीकार करने वाला योद्धा कभी हार ही नहीं सकता,क्योंकि उस योद्धा को द्वापर युग के विष्णु अवतार श्रीकृष्ण जी द्वारा महाभारत युद्ध में अर्जुन को दिए गीता उपदेश का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है और जिन्हें ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त हो जाए, फिर ‘सफलता’ की क्या औकात कि उन्हें नतमस्तक न करे ?
चुनौतियाँ असल में जीवन का लक्ष्य निर्धारित करती हैं और लक्ष्य ही जीवनयापन का मूल आधार होता है। इसे अनमोल जीवन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कहना अतिश्योक्ति नहीं कहा जा सकता। अतः किसी भी चुनौती को स्वीकार करने पर सफलता अंततः अवश्य प्राप्त होती है और यह आवश्यक नहीं है कि चुनौतियों की विशेषताओं के प्रकार या स्वरूप क्या हों ?
परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैL इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैL वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैL राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैL कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंL सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंL आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैL प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंL कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंL अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैL प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।