देश में फाँसी की बढ़ती मांग और जल्लादों का टोटा…

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** यह भी विडंबना है कि जहां एक तरफ हैदराबाद सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी नराधमों को फाँसी की सजा देने की मांग देश भर में उठ रही(थी),वहीं कानून जिन्हें मौत की सजा दे चुका है,उन्हें फाँसी के फंदे पर लटकाने के लिए जल्लाद नहीं मिल रहे। ७ साल पहले हुए `निर्भया` कांड … Read more

सामाजिक बहिष्कार और कानूनी सख्ती बहुत जरुरी

अजय जैन ‘विकल्प’ इंदौर(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** मुद्दा सामूहिक दुष्कर्म का……………. जिस देश की राजधानी दिल्ली से देश की सत्ता चलती है,यदि वहाँ ही महिला सुरक्षित नहीं है या तेलंगाना-हैदराबाद में पहले तो सामूहिक दुष्कर्म और फिर जान भी ले ली जाए तो समझा जा सकता है कि,मानसिकता का स्तर कितना होगा। सामूहिक दुष्कर्म की इस घटना … Read more

पुलिस प्राथमिकी की यह ‘जंगलगी’ भाषा तो बदलें…

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** “डीओ साहिब, मजरूब गंगेश जेरे इलाज मिला,जिससे पूछताछ अमल में लाई,जिसने अपना बयान दर्ज कराया वो बाला हालात से मुलाहजा एमएलसी से सरेदस्त सूरत जुर्म दफा ३०७ का सरजद होना पाया जाता है। लिहाजा तहरीर हजा बगर्ज कायमी मुकदमा दर्ज करके इत्तिला दी जावे।” (अर्थ:डीओ साहब,गंगेश नामक व्यक्ति ने अपनी शिकायत … Read more

महाराष्ट्र:सत्ता के लिए ‘अनैतिक सौदेबाजी’ और शर्मिंदा घोड़े…!

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** महाराष्ट्र में घोड़ों की कोई स्थानीय नस्ल नहीं पाई जाती,लेकिन राज्य में घोड़ा बाजार के नाम पर सत्ता की छीना-झपटी का जो खेल खेला जा रहा है,उससे सबसे ज्यादा शर्मिंदा अगर कोई है तो वो घोड़े हैं। घोड़े हजारों साल से मनुष्य की सेवा करते आ रहे हैं,लेकिन मानवीय दुर्गुणों और … Read more

‘चुनावी गुप्तदान’ में छिपे पारदर्शी सवाल….

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** राजनीतिक दलों की चंदा उगाही में पारदर्शिता लाने के नाम पर मोदी सरकार द्वारा पिछले साल जारी चुनावी (इलेक्टोरल बांड)अनुबंध को लेकर संसद के दोनों सदनों में सियासी बवाल मचा है। कारण पारदर्शिता के नाम पर इसकी अपारदर्शिता,चंदा कौन दे रहा है,कैसे दे रहा है,यह बताने की जरूरत नहीं। बैंकों से … Read more

राजनीतिक गुस्से का प्रतिशोध प्रतिमाओं से क्यों ?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** राजनीतिक आक्रोश या हताशा का प्रतिशोध महापुरूषों की प्रतिमाओं से लेना नई बात नहीं है,लेकिन देश की राजधानी नई दिल्ली में प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में स्थापित स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को तोड़े जाने का कोई औचित्य समझ नहीं आता,क्योंकि विवेकानंद न तो किसी दल के संस्थापक या प्रचारक थे,न … Read more

‍हरियाली की कीमत पर जनसेवकों को नए घर क्यों ?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** एक तरफ दुनियाभर के वैज्ञानिक पर्यावरण बचाने के लिए अपीलें कर रहे हैं,खुद भोपाल जैसे शहर की हवा प्रदूषित होती जा रही है,वहीं मध्यप्रदेश की इस राजधानी में मौजूदा हरियाली को भी पलीता लगाया जा रहा है। यूँ भोपाल एक विकासशील शहर है,लेकिन लगता है कि यहां तमाम विकास हरियाली की … Read more

किसी सूरज `बेटे` की ही हो सकती है ऐसी पूनम `माँ….

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** यह वास्तव में कलेजा चीर देने वाला मार्मिक प्रसंग है। इसे श्रद्धांजलि कहना,उसकी हृदय विदारकता को कम करना है। जिसने भी फैलता हुआ वह वीडियो देखा,सन्न रह गया,क्योंकि एक माँ ही अपने कलेजे के टुकड़े के लिए ऐसा कर सकती है। दुखों के पहाड़ को सात सुरों की सरगम में समेटने … Read more

ग्रेटा को पुरस्कार और उसकी प्रतिबद्धता

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** स्वीडन की किशोर जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा प्रतिष्ठित ‘नाॅर्डिक काउंसिल एनवायरनमेंट प्राइज’ को ठुकराना और यह कहना कि जलवायु आंदोलन के लिए विज्ञान को सुनने की जरूरत है,न कि अवाॅर्ड लेने की,उसे अपनी पीढ़ी के उन तमाम युवाओं से अलग करता है,जो दुनिया को बचाने के लिए जुटे हैं। ग्रेटा … Read more

कुछ ज्ञान के दीये भी जलाते चलें…!

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** दीपावली का पर्व अपने-आपमें कई पर्वों को समेटे आता है। इतने विविध रंगी त्यौहार,किसी एक त्यौहार में समाहित हों फिर भी उनकी प्रकृति अलग-अलग रहे,ऐसा शायद हिंदू धर्म में ही संभव है। दीपावली का त्यौहार क्यों शुरू हुआ,किसने शुरू किया,इन सवालों को उल्लास के कालीन के नीचे सरका दें तो भी … Read more