गुरु से होती गोविंद की पहचान
दिपाली अरुण गुंडमुंबई(महाराष्ट्र)***************************** गुरु पूर्णिमा विशेष….. माता-पिता ही प्रथम गुरु,जिनसे होती शिक्षा शुरू। कभी डाँट-फटकार सुनाते,जैसे मूर्तिकार मूर्तियाँ बनाते। मार्ग दिखाए वह प्रकाश स्तंभ-सा,मानो कठिनाइयों में अडिग चट्टान-सा। गुरु और गोविंद में भी गुरु को मान,क्योंकि,गुरु से होती गोविंद की पहचान। गुरु मिले तो सब जग प्यारा,गुरु बिन तू,सारे जग से हारा॥