मकर संक्रांति अलबेली

आशीष प्रेम ‘शंकर’मधुबनी(बिहार)********************************* मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. मकर की मस्त नवेला,आई है अजगुत बेला।पवन सिहकी मन बहका,आडम्बर लगा अकेला। पारस मनोरम इंगित हैं,मकर की कथा कथित है।खिच्चड़़,संग तिल की लाई,तिल-तिल दिनकर स्थित हैं। अम्बर में भानु छिपे हैं,पर रौशन जहाँ किए हैं।हैं एक झलक दिखलाई,सभी बंद पंख पनपे हैं। लाई है बसंत बहाई,अद्भुत अवसर विस्माई।जो … Read more

वो जीवन था बड़ा सलोना

आशीष प्रेम ‘शंकर’मधुबनी(बिहार)********************************************************************** वो जीवन था बड़ा सलोना,गुड़िया रानी खेल-खिलौनाजीवन चक्र बड़ा ही निर्मम,करते थे जब सब मनमाना। कभी रूठना,फिर उठ जाना,वैदेही-सा जीवन झरनाजिसे न थी चिंता एक पल भी,अब चिंता ही जीना-मरना। माँ के हाथ से भोजन खाना,पिता के कंधों पर इठलानामन था निर्मल गंगा जैसा,भेदभाव मुक्त था आना-जाना। बड़े-बड़े पैसे वाले थे पर,समझ … Read more

मन का धोखा

आशीष प्रेम ‘शंकर’ मधुबनी(बिहार) ************************************************************************** दगाबाज-सा है मन, झांसा देता हरदम कब क्या करने को कह दे, इसका न कोई वर्णन। कभी फूलों-सा खिल जाए, कभी कलियों-सा शरमाए कभी काँटों-सा चुभ जाए तो, कभी मन ही मन मुस्काए। कभी भँवरों-सा भँवराए, कभी तितली-सा बन जाए हर डाल-डाल पर जा कर, सब मधु-रस को ले आए। … Read more

माता-पिता

आशीष प्रेम ‘शंकर’ मधुबनी(बिहार) ************************************************************************** माँ की ममता पिता का प्यार, न जग में है इसका सार माँ का आँचल गले का हार, पिता ही बेटे का श्रृंगार। माँ करुणामयी करुण की धार, पिता पुत्र का है करतार माँ वो शीशा जिसको पार, कर न सके कोई भेदनहार। माँ वो छतरी है रे नैन, बिन … Read more

अपने-पराये

आशीष प्रेम ‘शंकर’ मधुबनी(बिहार) ************************************************************************** अपनों के अपनेपन को जब-जब मैंने देखा यारों, अपनों ने ही आघात किया अपनों ने किया सौदा यारों। हरदम मैं आस लगाए था, और बदले में कुछ पाया था उन्होंने दिया जो भी मुझको कोई और नहीं दे पाया था। जी हाँ,मैं ये सच कहता हूँ, आप-बीती सब गुनता हूँ … Read more

किस्मत का फसाना

आशीष प्रेम ‘शंकर’ मधुबनी(बिहार) ************************************************************************** जीवन की तड़-तड़ से हमने तराना सीख लिया, जैसे तड़ाग ने असालतन ही अणु जमाना सीख लियाl मैं सोच बैठा,कुछ न हो पाएगा अब, इतने में ही किसी बेजुबां से हमने नवल गढ़ाना सीख लिया। जैसे तरुवर ने स्वतः ही तड़ित से बचना सीख लिया, वैसे हमने भी आत्महित विकट … Read more

हिन्दी अलख जगाएंगे

आशीष प्रेम ‘शंकर’ मधुबनी(बिहार) ************************************************************************** हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष……………….. हम बन्दे हैं भारत माँ के अपना फर्ज निभाएंगे, हिन्द देश,हिन्दी भाषा की घर-घर अलख जगाएंगे। यह भाषा हर नाम सिखाती हर दिल में अरमान जगाती, है दुनिया में इसकी रौनक यह हमको पहचान दिलाती। इसका कर्ज बहुत है हम पर कैसे करुं बयां किस कदर, … Read more

ये असफलता नहीं

आशीष प्रेम ‘शंकर’ मधुबनी(बिहार) ************************************************************************** ‘चन्द्रयान-२’ की उपलब्धि को असफलता नहीं कहते, पाँच कदम आगे बढ़कर एक कदम पीछे हटने को दुर्बलता नहीं कहते। याद करो वो दिन जब चन्द्रयान निकला आर्यावत की भूमि से, दुनिया ने लोहा माना, इस जीत को हम अकुशलता नहीं कहते। मंगल पर सबसे पहले हमने लहराया तिरंगा है, ‘लैंडर … Read more