वह भी सोचता है ?

ओमप्रकाश अत्रिसीतापुर(उत्तरप्रदेश)******************************************************************* क्यासोचता है,पद्-दलितअपमानितकुण्ठित हर आदमी,जो मैंसोच रहा हूँ ?क्यामेरी तरह,वो भीजीवन कोआँसूओं से,डूबने से बचाना चाहता है ?सहमी हुईज़िन्दगी कोभयभीत रातों से,सुबहआँखों को,छलकते हुए आँसूओं सेछुटकारा चाहता है ?क्या,मेरी…

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मातृत्व से वंचित

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************************** विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. खिलते हैं उरोज अब कुसुम जैसे, जो मोह लेते, बड़े-बड़े सप्तर्षियों को। शुक-सा बन्द है पिंजड़े में, सप्ला पुष्प की तरह…

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फसलों का `गर्भपात’

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************************** यदि, घड़ी भर के लिए उनके पास ठिठक जाती है नींद, तब भी मेरे पिता जी, नींद में बड़बड़ाते रहते हैं। उनके हाथ, नींद में भी…

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गाँव की रात

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************************** अभी-अभी घुप्प अंधेरे में, छिप जाएंगी ये गाँव की गलियाँ, गलियारे पर हो रही पैरों की पदचाप, अभी-अभी ठप्प हो जाएगी। धीरे-धीरे, घरों में बुझ जाएंगी…

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ईश्वर के कृपापात्र

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************************** ये जो जितनी भी, गगनचुंबी इमारतें दिख रही हैं, उसमें रहने वाले, सबसे खास हैं ईश्वर के। वे, पहले कृपापात्र हैं उसके, जिसके इशारे पर हवा-नदियाँ…

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मँहगाई

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************************** उसकी पेट और पीठ मिली मुझे चकित करती रही, साथ ही चकित करती रही उसके आगे धरी, थाली में रोटी भी। जो किसी छाल की तरह,…

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अस्तित्व गाथा

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* कब तक रखेंगे अपने को अंधेरे में, कब तक छिपते रहेंगे इतिहासों के पन्ने में। कब तक, हमारे अस्तित्व को सच्चाई से दूर, जातिवाद के अंधकार…

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कैसे कह सकते हो ?

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* कभी देखा है मजदूर को, खाली पेट सिर पर तसला उठाते ? कभी चखा है स्वाद सूखी रोटियों का, कभी गुजारी हैं रातें पानी को पीकर…

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कैसे नहीं होगा विकास ?

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* जहाँ लूटा जाए दिनदहाड़े, जहाँ खेला जाए एक-दूसरे के जीवन से, उससे अच्छा कहाँ होगा विकास ? कहाँ होगा ऐसा विकासशील देश, जहाँ बहू-बेटियों को ताड़ा…

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आजादी के सपने

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* आज, आजादी के लिए कुर्बान होने वाले सेनानियों के सपने साकार हो रहे हैं। जो गुलामी की जंज़ीरों को तोड़कर, लाना चाहते थे देश की खुशहाली।…

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