कान्हा

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. काल चक्र से परे हो मोहन,तुम्हीं बताओ पड़े कहाँ हो, पार्थ सारथी बने हो माधव,जहां जरूरत खड़े वहाँ हो, तुम्हें ही ढूंढे है जग ये सारा,तड़प रहा है ये दिल हमारा- अभी जरूरत तुम्हारी केशव,चले ही आओ बसे जहाँ हो। नहीं धरा में न आसमां … Read more

सूखा सावन

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** सावन भी है सूखा साजन,जैसे गुजरा आषाढ़, खेतों में है पपड़ी सूखी,जैसे पसरा सूखाड़। कहीं-कहीं में सूखी नदिया,कहीं पे आयी बाढ़, सूखे में कोई रोता देखो,कोई डूबा रोये दहाड़। आसमान से शोले बरसे,धरती आग उगलती है, बरखा के इस मौसम में भी,धरती भाप उगलती है। सावन में हरियाली कैसे,वसुधा … Read more

अब कर्म करो

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************* भोग ली है जिन्दगी अब कर्म करो, राजनीतिक प्रहरियों अब शर्म करो। दशकों वर्ष बीत चुके कुछ बाकी है, मन्दर-मस्जिद भूल मानवधर्म करो। सहत्र वर्ष की हो चुकी भाषणबाजी, रक्त न बहाओ क्रोध कुछ नर्म करो। युद्ध की गर्जना व ललकार समझो, व्यवस्था सुधारने हेतु रक्त गर्म … Read more

नहीं ये प्यार है साक्षी

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** करे नीलाम जो इज्ज़त,नहीं व्यवहार वो अच्छा, तमाशा जो बने चाहत,नहीं है प्यार वो अच्छा। बहे माँ-बाप के आँसू,अगर औलाद के कारण- नहीं औलाद वो अच्छी,नहीं संस्कार वो अच्छा। नुमाईश हो अगर दिल की,नहीं वो प्यार कहलाता, करे माँ- बाप को रुसवा,नहीं अधिकार कहलाता। मुहब्बत नाम है संयम,मुहब्बत त्याग … Read more

बहुत याद आ रही है माँ

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** बहुत याद आ रही है माँ। जीना सिखला रही है माँl स्वयं पीकर कड़वाहट वो, मीठा दूध पिला रही है माँl भटक ना जाएँ हम कहीं, आँचल में छिपा रही है माँl अत्यंत थक चुका हूँ तभी, अपने पास बुला रही है माँl राष्ट्रहित व देशप्रेम कर … Read more

दौलत और मुहब्बत

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** किसी का दिल नहीं तौलो,कभी धन और दौलत में, नहीं औकात सिक्कों में…खरीदे दिल तिजारत में। नहीं बाज़ार में मिलता,…नहीं दिल खेत में उगता- समर्पण बीज जो बोता,…वही पाता मुहब्बत में॥ तराजू में नहीं तौलो,…किसी मासूम से दिल को, बड़े निश्छल बड़े कोमल,बड़े माशूक़ से दिल को। जरा-सी चोट … Read more

विपरीत चल रही कश्तियां

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** अपनों की विकराल स्मृतियां। कष्ट निवारक नहीं आकृतियांl तुम्हें क्या कहें और कैसे कहें, बांटी थी सब लिखित प्रतियां। दण्ड भोग रहा देशभक्ति का, मूक दर्शक बनीं सब शक्तियां। न्याय हेतु प्रयासरत हूँ किंतु, अनुकूल नहीं हैं परिस्थियां। उस पार कहां,कैसे उतरूं मैं, विपरीत चल रही हैं … Read more

समय कहाँं है

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** भूख मिटाऊँ समय कहाँं है। मंदिर जाऊँ समय कहाँं है॥ गीता पढ़ ली पाप हो गया, और कमाऊँ समय कहाँं है। सरपट भाग रहा है सत्य, उसे छुपाऊँ समय कहाँं है। असंख्य कहाँं हैं साँसें मेरी, व्यर्थ गवाऊँ समय कहाँ है। देशहित में जीवन समर्पित, रक्त बचाऊँ … Read more

बरसात

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** धरा की देख बैचेनी,पवन सौगात ले लाया, तपी थी धूप में धरती,गगन बरसात ले आया। घटा घनघोर है छाई,लगे पागल हुआ बादल- सजाकर बूंद बारिश की,चमन बारात ले आया॥ फ़ुहारों ने जमीं चूमी,हुई पुलकित धरा सारी, बहारों को ख़िलाकर के,हुई पुष्पित धरा सारी। खिले हैं बाग वन-उपवन,लगे ज्यूँ गात … Read more

चुप्पी कहती है कुछ

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** चुप्पी मेरी कहती है कुछ। नदिया-सी बहती है कुछ। देशहित की बाजी मित्रों, आत्मबल चाहती है कुछ। रक्त खौला माँ भारती जो, प्रसव पीड़ा सहती है कुछ। अनेक शोध कर देखा मैंने, जीने में मृत्यु रहती है कुछ। नीर कहां यह रक्त है भाई, हृदय गंगा बहती … Read more