खोज रहा नीर नेह

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प:विधान- २२ मात्रिक छंद-१२,१० मात्रा पर यति, यति से पूर्व व पश्चात त्रिकल अनिवार्य, चरणांत में गुरु (२),दो-दो चरण समतुकांत हों, चार चरण का एक छंद कहलाता है)  वरुण देव कृपा करे,जल भंडार भरें। जल से सब जीव बने,जल अंबार करें। दोहन मनुज ने किया,रहा जल बीत है। बिन अंबु … Read more

होली

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प: विधान ८,८, ८,७ वर्ण आठ,आठ,आठ,सात। वर्ण संयुक्त वर्ण एक ही माना जाता है। कुल ३१ वर्ण,१६,१५, पर यति हो,(,) पदांत गुरु(२) अनिवार्य है,चार पद सम तुकांत हो,चार पदों का एक छंद कहलाता है।) रूप रंग वेष भूषा,भिन्न राज्य और भाषा, ११ ११ ११ ११, ११ ११ ११ ११ देश … Read more

होली चालीसा

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दोहा- याद करें प्रल्हाद को,भले भलाई प्रीत। तजें बुराई मानवी,यही होलिका रीत॥ चौपाई- हे शिव सुत गौरी के नंदन। करूँ आपका नित अभिनंदन॥ मातु शारदे वंदन गाता। भाव गीत कविता में आता॥ भारत है अति देश विशाला। विविध धर्म संस्कृतियों वाला॥ नित मनते त्यौहार अनोखे। मेल-मिलाप,रिवाजें चोखे॥ दीवाली अरु ईद मनाएँ। … Read more

होली मर्दानी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प:विधान१० वर्ण,१६ मात्रिक, भगण मगण सगण गुरु २११ २२२ ११२ २,दो दो पद समतुकांत हो) रंग सजे सीमा पर सारे। शंख बजाए कष्ट निवारे। संकट आतंकी बन बैठे। कान उन्हीं के वीर उमेंठे। राष्ट्र सनेही भंग चढ़ा लो। शत्रु समूहों को मथ डालो। ओढ़ तिरंगा ले बन शोला। केशरिया होली … Read more

नारी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प: विधान-१२२२,१२२२,१२२२,१२२२ = २८ मात्रा १२२२,१२२२,१२२२,१२२२ = २८ मात्रा १,७,१५,२२वीं मात्रा लघु अनिवार्य) बताओ कौन है ऐसा,मही नारी न हो जाया। सिखा ईमान भी इनको,सखे बेबात भरमाया। करें हम मान नारी का,सदा इंसान कहलाएँ, इबादत हो अमानत की,यही संसार में माया। करें सम्मान जननी का,विरासत ये चलाती है। सभी दु:ख … Read more

पिता

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प:विधान-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२) सजीवन प्राण देता है,सहारा गेह का होते। कहें कैसे विधाता है,पिताजी कम नहीं होते। मिले बल ताप ऊर्जा भी,सृजन पोषण सभी करता। नहीं बातें दिवाकर की, पिता भी कम नहीं तपता। मिले चहुँओर से रक्षा,करे हिम ताप से छाया। नहीं आकाश की बातें,पिताजी में यहीं माया। … Read more

नारी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… नारी जग को धारती,धरती का प्रतिरूप। पावन निर्मल सजल है,गंगा यमुन स्वरूप। गंगा यमुन स्वरूप,सभी को जीवन देती। होती चतुर सुजान,अभाव सभी सह लेती। कहे लाल कविराय,मनुज की है महतारी। बेटी,बहू समान,समझ लो दैवी नारी। नारी सभी घर लक्ष्मी,घर दर पालनहार। भव सागर परिवार की,तरनी तारन … Read more

कामना

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* रचना शिल्प:यगण १२२×३+ लघु गुरु १२२ १२२ १२२ १२ सुनो वीर फौजी तुम्हारे लिए। जला दीप घी के सभी ने दिए। तुम्ही से रहेगी सुरक्षा सखे। सदाचार सारे हमारे रखें। बढ़े देश की शान वीरों चढ़ो। रखो मान-ईमान पंथी बढ़ो। नहीं भूलना गान पंछी कहे। वही पातकी पाक पीछे रहे। सखे … Read more